छठ का पर्व जिस आवाज के बिना अधूरा है, वो आवाज हमेशा के लिए बंद हो गई। बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा का छठ की नहाय खाय के दिन निधन हो गया। इस खबर से उनके फैंस बेहद दुख हैं। दो महीने पहले ही शारदा ने अपने पति को खोया था और अब वो भी दुनिया को अलविदा कह गईं, मगर जाते-जाते उन्होंने अपने बेटे के आगे अपनी आखिरी इच्छा रखी, जिसे जानने के बाद आपकी भी आंखें नम हो जाएंगी।

शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि वो सुहागन इस दुनिया से जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका तो उन्होंने जहां उनके पति को मुखाग्नि दी गई थी, वहीं अपने अंतिम संस्कार की इच्छा जताई। उनके बेटे अंशुमन ने केंद्रीय मंत्री से इस बारे में बताया। अंशुमन ने बताया कि शारदा सिन्हा ने कहा, “मेरी इच्छा सुहागन बनकर ही इस दुनिया से जाने की थी, लेकिन वो हो नहीं सका। इसलिए मेरा भी अंतिम संस्कार वहीं करना जहां अपने पिता का किया था।”

अंशुमन ने बताया कि पिता के निधन के बाद उनकी मां बहुत निराश रहने लगी थीं। उन्हें खुद पांच छह साल से कैंसर है, लेकिन फिर भी वह अपने पति की बीमारी में हर पल उनका ख्याल रखती रहीं। अंशुमन की मानें तो अपने पति के जाने के बाद शारदा में जीने की इच्छा खत्म हो गई थी।

एक तरफ छठ का त्योहार शुरू हुआ और दूसरी तरफ शारदा सिन्हा इस दुनिया से चली गईं। शारदा सिन्हा के गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के एम्स में भर्ती थीं, जहां 5 नवंबर की रात करीब 9 बजे उनका निधन हो गया। छठ के पर्व पर उनका परिवार, गांव और फैंस उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन वो नहीं बच पाईं।

उनके बेटे ने बताया था कि बेटे 4 नवंबर की शाम उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें  वेंटिलेटर पर रखा गया था। बेटे को उम्मीद थी कि उनकी मां ठीक हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैंने अभी कन्सेंट साइन किया है, प्रार्थना करते रहिए। मुश्किल है, काफी मुश्किल है, इस बार काफी मुश्किल है।”