अद्भुत प्रतिभा की धनी शकुंतला देवी को ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ भी कहा जाता है। शकुंतला देवी का दिमाग इतना तेज दौड़ता था कि कंप्यूटर को भी फेल कर दे। शकुंतला देवी का बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता उन्हें सर्कस दिखाने ले जाया करते थे। छोटी उम्र में ही उन्होंने घर खर्च की जिम्मेदारी भी उठा ली थी। शकुंतला देवी के जगह जगह शोज पर जाने से उन्हें पैसा मिलता था जिससे कि उनका घर खर्च चलता था।

शकुंतला देवी के गणित का कोई तोड़ नहीं था। अपनी प्रतिभा के चलते उनका भविष्य बहुत उज्जवल हुआ। ऐसे में अपने टैलेंट के बूते देश विदेश दुनिया घूमीं औऱ जगह जगह अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया। शकुंतला देवी की लाइफ में सब ठीक चल रहा था। उनकी शादी भी एक IAS से हुई थी। लेकिन उनकी शादी में कुछ ऐसा हुआ कि जिसके बाद शकुंतला देवी अपने पति से अलग हो गई थीं।

1977 में डैलास की सदर्न मै​थडिस्ट यूनिवर्सिटी में शकुंतला देवी ने अपने हुनर का चमत्कार दिखाया था। इसके बाद वह बहुत पॉपुलर हो गई थीं। इसी बीच उन्होंने एक किताब लिखी The World Of Homosexuals इस वजह से शकुंतला देवी सुर्खियों में छा गईं। इस किताब में उन्होंने होमोसेक्शुअल (समलैंगिकों के बारे में) को लेकर काफी कुछ लिखा। शकुंतला की इस किताब को समलैंगिकों के ऊपर पहला दस्तावेज माना जाता है।

दरअसल, शकुंतला देवी को उनकी शादी में बड़ा झटका लगा था। उन्हें पता चला कि उनकी शादी एक ‘गे’ व्यक्ति से हुई है। शकुंतला देवी इस बात से काफी डिस्टर्ब हो गई थीं कि उनके पति परितोष बनर्जी गे हैं। इसके बाद शकुंतला देवी ने इस टॉपिक पर बात करना सही समझा और ये किताब लिखी। इस बीच शकुंतला देवी ने समलैंगिकों के दर्द को समझा औऱ इसका उल्लेख किया।

इस आधार पर उन्होंने इस किताब को लिखा जिसकी दुनिया भर में खूब चर्चा हुई। उस वक्त समलैंगिकता को अपराध माना जाता था, ऐसे में शकुंतला देवी ने इसे मानवीयता का नजरिया प्रदान किया। लेकिन उनकी इस किताब औऱ उनके शब्दों पर उस वक्त ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि धीरे धीरे बदलाव आने लगे। पर इन सबके बीच शकुंतला और उनके पति का रिश्ता टूट गया और दोनों का तलाक हो गया।