कॉमेडियन कुणाल कामरा को सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि का शोकॉज नोटिस भेजा है, जिस पर उन्हें जवाब देने के लिए 6 हफ्तों का वक्त दिया गया है। कुणाल कामरा सहित यह नोटिस कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को भी भेजा गया है। दोनों पर यह आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों के खिलाफ निंदाजनक ट्वीट किए हैं। कोर्ट की तरफ से यह कहा गया है कि उन्हें कोर्ट में फिजिकली मौजूद रहने की जरूरत नहीं है।

शोकॉज नोटिस में कोर्ट ने दोनों से यह पूछा है कि कोर्ट की निंदा करने पर क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कारवाई की जाए। बृहस्पतिवार को तीन जजों की बेंच जिसमें न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर. एस. रेड्डी और एम. आर. शाह मौजूद थे, ने एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील निशांत आर. कटनेश्वरकर की दलील सुनी और यह दावा किया कि कामरा ने न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट्स किए हैं। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।

पीटीआई ने वकील के हवाले से कहा, ‘ये सभी ट्वीट निंदनीय हैं और हमने अटॉर्नी जनरल से इस विषय पर सहमति मांगी है।’ कुणाल कामरा न्यायालय की मानहानि का केस तब से झेल रहे हैं जब उन्होंने अर्नब गोस्वामी की जमानत के बाद शीर्ष अदालत को निशाना बनाते हुए कई ट्वीट्स किए थे। अर्नब गोस्वामी 2018 के एक आत्महत्या मामले में गिरफ्तार हुए थे लेकिन जल्द ही उन्हें जमानत मिल गई थी। कुणाल कामरा के सुप्रीम कोर्ट को लेकर ट्वीट्स के बाद उन पर अब तक 8 लोगों ने केस दर्ज किए हैं जिनमें से अधिकतर वकील हैं।

पिछले महीने जब अटॉर्नी जनरल ने कुणाल कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस चलाने की सहमति दी थी तब कामरा ने कहा था कि वो अपने ट्वीट को वापस नहीं लेंगे न ही माफी मांगेंगे। न्यायाधीश और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को संबोधित एक पत्र में उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार बदले नहीं हैं क्योंकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय की चुप्पी की आलोचना होनी चाहिए। अपने ट्वीट्स को वापस लेने आया माफ़ी मांगने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मेरा मानना है कि वे अपने लिए बोलते हैं।’ यह पत्र उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया था।

आपको बता दें कि रचिता तनेजा ने भी अर्नब गोस्वामी को बेल दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट को लेकर ट्वीट किया था। उनके कार्टून्स में सुप्रीम कोर्ट को मेंशन किया गया था जिसे आपत्तिजनक बताया गया है।