हर व्यक्ति की प्रेम कहानी दूसरे से अलग होती है। इसलिए ‘सत्यप्रेम की कथा’ की प्रेम कहानी भी प्रेम और मोहब्बत की दूसरी फिल्मों से अलग है। कार्तिक आर्यन ने इसमें सत्यप्रेम नाम के प्रेमी बने हैं। सत्यप्रेम एक नाकारा गुजराती नौजवान है और अपने घर में उसकी ये हैसितय है कि रोज उसे पूरे परिवार के लिए सुबह-सुबह का नाश्ता बनाना पड़ता है। उसका पिता भी नाकारा है। ये किरदार गजराज राव ने निभाया है। पिता और बेटा दोनों ही खर का खाना बनाने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
जैसा कि अक्सर फिल्मो में होता है नाकारे को इश्क करने का एक मौका मिलता, तो उसी तरह सत्यप्रेम को कथा (कियारा आडवाणी) नाम की एक लड़की से एकतरफा प्रेम होता है और हालात ऐसे बनते हैं कि दोनों की शादी भी हो जाती है। वैसे कथा का मामला काफी उलझा हुआ है और जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है ये और जटिल होता जाता है। हालांकि आखिर में सुलझ भी जाता है।
इंटरवल के पहले ये फिल्म हंसी मंजाक से भरपूर है और अहमदाबादी यानी गुजराती कहानी होने की वजह से इसमें खाखरे और ढोकले भी बारबार आते हैं। संवादों में भी गुजरातीपन है। ब्रेक से ठीक पहले कहानी की दिशा बदलती है जब सत्यप्रेम को मालूम होता है कि कथा के साथ कुछ बहुत गलत हुआ था जिसके कारण उनकी शादी में परेशानी आने लगी। क्या ये असामान्य कभी सामान्य हो सकेगा?
कार्तिक आर्यन ने इस फिल्म में अपने अभिनय एक नई ऊंचाई को छुआ है। शुरू मे उन्होंने खूब हंसाया भी और बाद में जजबाती अभिनय से दर्शकों के दिल को भी छुआ है। कियारा आडवाणी ने उस मनोवैज्ञानिक अतरद्वंद्व को सामने लाया है जो उस महिला में दिखता है जो किसी बड़े हादसे से गुजरी है। हालांकि ये भी सभी है कि इस तरह की फिल्में वैचारिक रूप से प्रगतिशील होने के बावजूद दर्शकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाती।