बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की फिल्म सत्यप्रेम की कथा 29 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। Bhool Bhulaiyaa 2 के बाद एक बार फिर ये जोड़ी दर्शकों के बीच धमाल मचाने आ रही है। फिल्म में कार्तिक और कियारा के अलावा सुप्रिया पाठक, गजराज राव, अनुराधा पटेल और राजपाल यादव भी अहम भूमिका में हैं। फिल्म की कहनी एक गंभीर टॉपिक को लेकर है, जिसे डायरेक्टर ने एंटरटेनमेंट रोमांस और हल्की-फुल्की कॉमेडी के साथ दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश की है। निर्देशक समीर विदवांस की 2 घंटा 26 मिनट की ये फिल्म कैसी है? जानिए इसका रिव्यू में…
फिल्म की कहानी
फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’में सत्यप्रेम हीरो यानी कार्तिक आर्यन का नाम है और कथा नाम है इसकी हीरोइन यानी कियारा आडवाणी का। फिल्म की कहानी सत्यप्रेम के इर्द-गिर्द घूमती है। गुजरात के रहने वाले सत्यप्रेम की प्यार के मामले में किस्मत काफी खराब रही है। सत्यप्रेम एक ऐसा लड़का है जिसके पास कोई नौकरी नहीं है और सिर्फ एक ही ख्वाहिश है कि उसकी शादी हो जाए। सत्तू एक बेहद मिडल क्लास परिवार से आता है। जो वकालत की पढ़ाई में तीन बार फेल हो चुका है। इसी बीच सत्यप्रेम को डांडिया खेलते वक्त कथा नाम की लड़की से एक तरफा प्यार हो जाता है।
लेकिन कथा का बॉयफ्रेंड होने की वजह से सत्तू का सपना-सपना ही रह जाता है और एक साल बाद सत्यप्रेम को कही से पता चलता है कि कथा का ब्रेकअप हो गया है और वह सत्तू कथा से मिलने के लिए उसके घर पहुंचा है। तो देखता है कि उसने अपने हाथों की नसें काट ली है। जिसे बचते-बचाते वो अस्पताल लेकर जाता है। यहां से कहानी में आता है ट्विस्ट। बड़े बिजनेसमैन होने के बाद भी कथा के परिवार वाले सत्तू से कथा की शादी करवा देते हैं। हालांकि इस शादी में कथा की रजामंदी नहीं है। लेकिन ये शादी वैसी नहीं है, जैसी आम शादियां होती हैं। आखिर ऐसा क्यों है? क्या वजह है कि कथा शादी के बाद भी सत्तू की नहीं हो पाती है? इसके लिए आपको सिनेमाघरों में जा कर पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी।
सेकंड हाफ इमोशनल कर देगा
फिल्म के फर्स्ट हाफ में जहां कॉमेडी के साथ कहानी को परोसा गया है। तो वहीं सेकंड हाफ आपको इमोशनल कर सकता है। फिल्म के सेकंड हाल में आपको एक मूमेंट पर ऐसा लगेगा फिल्म की कहानी खत्म हो गई है, लेकिन फिर भी फिल्म की कहनी आगे बढ़ती है। फिल्म को डायरेक्टर ने एक जरूरी संदेश देने की मंशा से बनाया है जो काबिले तारीफ है। लेकिन फिल्म के डायरेक्शन में कई प्रकार की लापारवाही भी देखने को मिली। जैसे फिल्म की कहनी को जबरदस्ती लंबा करना। बिना वजह के गाने जिनकी फिल्म में कोई आवश्कता ही नहीं थी। जो अगर फिल्म में नहीं होते तो भी फिल्म बेहतर होती। फिल्म के फर्स्ट हाफ में कई शॉकिंग खुलासे किए गए हैं। वहीं इंटरवल के बाद फिल्म की कहनी अपने मुद्दे पर आती है। कहानी की ज्यादा परतें खोली जाएंगी तो स्पॉइलर हो जाएगा, लेकिन इतना मैं जरूर कहूंगी कि निर्देशक समीर विदवांस ने एक बेहद जरूरी कहानी को पेश करने की कोशिश की है।
कैसी है किरदारों की एक्टिंग
फिल्म में पूरी कास्ट जबरदस्त है। कार्तिक आर्यन और कियारा की केमिस्ट्री काफी रोमांटिक है। राजपाल यादव की कॉमेडि आपको हंसने पर मजबूर कर देगी। वहीं गजराज राव और कार्तिक आर्यन ने बाप-बेटे की केमिस्ट्री को बखूबी पर्दे पर उतारा है। सुप्रिया पाठक ने भी मां का किरदर भी काफी मजेदार है। वहीं एक बहन भी है जो काफी इंटरटेनिंग है। यह फिल्म वन टाइम वॉच है। जनसत्ता की तरफ से हम सत्यप्रेम की कथा को 5 में से स्टार देते हैं।