47 Years of Satyam Shivam Sundaram: जीनत अमान की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ 24 मार्च 1978 को रिलीज हुई थी और आज फिल्म ने अपने 47 साल पूरे कर लिए हैं। यह फिल्म उस साल रिलीज हुई सबसे चर्चित फिल्मों में से एक थी और इस फिल्म में दिखाई गई कहानी पर लंबे समय तक बहस हुई। इस फिल्म का निर्देशन राज कपूर ने किया था और फिल्म के गाने और कहानी की वजह से जहां इस फिल्म की तारीफ हुई वहीं जीनत अमान के किरदार और उनके कुछ सीन्स की वजह से फिल्म विवादों में भी घिर गई। आज, जब हम इस फिल्म की कहानी और इसके पीछे की घटनाओं के बारे में पढ़ते हैं तो पता चलता है कि उस दौर में ये फिल्म एक साहस भरा प्रयोग था। सिनेग्राम में आज हम आपको इसी फिल्म से जुड़ा किस्सा बताने वाले हैं।

सत्यम शिवम सुंदरम की कहानी एक ऐसी लड़की रूपा (जीनत अमान) की है, जिसका चेहरा बचपन में एक हादसे में झुलस जाता है, लेकिन उसकी आवाज इतनी मधुर है कि लोग उससे मोहित हो जाते हैं। इस फिल्म में ये फिलॉसफी दिखाई जाती है कि किस तरह से आंतरिक सुंदरता और बाहरी सुंदरता में फर्क होता है। इस फिल्म को लेकर पत्रकार वीर सांघवी ने अपनी आत्मकथा A Rude Life में जिक्र किया है। इस फिल्म की प्रेरणा राज कपूर को मशहूर गायिका लता मंगेशकर से मिली थी। राज कपूर ने एक बार वीर सांघवी से कहा था, “आप एक खूबसूरत आवाज सुनते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि जिसकी आवाज इतनी सुंदर है, उसका चेहरा उतना अच्छा नहीं है।” उनका यह बयान लता मंगेशकर की ओर इशारा कर रहा था।

लता मंगेशकर को इस फिल्म में लेना चाहते थे राज कपूर

राज कपूर इस फिल्म में लता मंगेशकर को ही लेना चाहते थे। वो लता की आवाज से काफी प्रभावित थे। राज कपूर की बेटी रितु नंदा की किताब Raj Kapoor Speaks के अनुसार, राज कपूर ने कहा था, “मैंने एक ऐसी महिला की कहानी की कल्पना की थी, जिसका चेहरा साधारण हो, लेकिन आवाज सुनहरी हो, और मैं लता मंगेशकर को इस किरदार में देखना चाहता था।” हालांकि, लता मंगेशकर ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। वीर सांघवी की किताब के मुताबिक, लता ने राज कपूर से साफ कहा था कि अगर वह यह बात किसी से कहेंगे कि फिल्म की प्रेरणा उनसे मिली है, तो वह इस फिल्म लिए गाने नहीं गाएंगी। हालांकि बाद में लता ने ही फिल्म के लिए अपनी आवाज दी और “सत्यम शिवम सुंदरम” का टाइटल ट्रैक को भी लता ने आवाज दी जिसकी आवाज आज भी लोगों के दिलों में गूंजती है।

CineGram: ‘छोटा कद था, हीरो जैसे नहीं लगते थे’, सलमान खान को हीरो मैटेरियल नहीं समझते थे ये टॉप डायरेक्टर

ऐसे फिल्म में हुई जीनत अमान की एंट्री

लता मंगेशकर ने जब इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया तो राज कपूर कई एक्ट्रेसेज के पास गए जिसमें से हेमा मालिनी, डिंपल कपाड़िया और विद्या सिन्हा जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि हर किसी ने इस फिल्म को ना कह दिया क्योंकि फिल्म कई बोल्ड सीन और स्किन शो था। विद्या सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं उन कपड़ों में सहज नहीं थी, जो जीनत अमान ने फिल्म में पहने थे।” आखिरकार, यह मौका जीनत अमान के हाथ लगा। जीनत ने इस किरदार को इतनी शिद्दत से अपनाया कि वह खुद रूपा के लुक में तैयार होकर राज कपूर से मिलने पहुंच गई थीं। राज कपूर ने उन्हें देखते ही फाइनल कर लिया।

जब लीक हो गईं सेट से जीनत अमान की तस्वीरें

फिल्म के सेट से जीनत अमान की कुछ तस्वीरें लीक हो गईं। उन तस्वीरों में जीनत गीली साड़ी में काफी बोल्ड लुक में नजर आ रही थीं। इन तस्वीरों से हंगामा मच गया और एक पब्लिकेशन हाउस ने इन्हें छाप दिया। इस घटना से राज कपूर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने उस पब्लिकेशन के खिलाफ मुकदमा ठोक दिया। इस घटना ने फिल्म को रिलीज से पहले ही सुर्खियों में ला दिया।

जब वीर सांघवी ने लिया राज कपूर का इंटरव्यू

तस्वीर लीक से हुए विवाद के बीच वीर सांघवी ने राज कपूर का इंटरव्यू करने का फैसला किया। वीर उस समय इंडिया टुडे के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने जब अपने बॉस अरुण पुरी से इस बारे में बात की तो शुरू में वो इस विचार से सहमत नहीं थे। अरुण ने कहा, “राज कपूर ने इस फिल्म के बारे में किसी और से बात नहीं की है, वह हमसे क्यों बात करेंगे?” लेकिन वीर सांघवी ने एक तुरुप का इक्का खेला। उन्होंने अरुण को याद दिलाया कि उनके पिता वी.वी. पुरी राज कपूर की शुरुआती फिल्मों के फाइनेंसर रह चुके थे। यह रिश्ता काम आया। अरुण ने अपने पिता से बात की, और फिर राज कपूर से इंटरव्यू की बात पक्की हो गई।

CineGram: ‘डेढ़ साल अकेला रहा, बहुत शराब पीने लगा…’, पहली पत्नी से तलाक के बाद बुरी तरह टूट गए थे आमिर खान, कहा- ‘सो नहीं पाता था’

इंटरव्यू के दौरान राज कपूर ने फिल्म को एक दार्शनिक नजरिए से इस तरह पेश किया कि पढ़ने वाला भी हैरान रह गया और इंटरव्यू लेने वाले वीर सांघवी में इम्प्रेस हुए। राज कपूर ने कहा, “एक पत्थर को लीजिए। वह बस एक पत्थर है। लेकिन उस पर धार्मिक चिह्न बना दें, तो वह भगवान बन जाता है। चीजों को आप कैसे देखते हैं, यह मायने रखता है।” वह जीनत की तस्वीरों के विवाद पर भी बोले। जब वीर सांघवी ने कहा कि ये तस्वीरें बहुत हॉट हैं, तो राज कपूर का जवाब था, “लोगों को जीनत का शरीर देखने आने दो। मगर जब वे थिएटर से लौटेंगे, तो मेरी फिल्म को याद रखेंगे।”

हालांकि, वीर सांघवी ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि राज कपूर ने जितना खुलकर बोलना चाहिए था, उतना नहीं बोले। फिर भी, यह इंटरव्यू इंडिया टुडे में छपा और इंडिया टुडे मैगजीन की उस महीने की बिक्री शानदार रही।

जब राज कपूर के खिलाफ दर्ज हो गया मुकदमा

सत्यम शिवम सुंदरम रिलीज होते ही हिट हो गई। कोलकाता के मेट्रो सिनेमा में यह फिल्म 29 हफ्तों तक चली और एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई। लेकिन फिल्म में जीनत अमान के बोल्ड सीन की वजह से फिल्म की आलोचना भी खूब हुई खासकर जीनत का पारदर्शी साड़ी वाला सीन विवादों में रहा। हिमाचल प्रदेश के एक शख्स लक्ष्मण ने फिल्म को अश्लीलता के आधार पर कोर्ट में चुनौती दी। राज कपूर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

CineGram: जब माला सिन्हा ने सबके सामने जड़ा था शर्मिला टैगोर को थप्पड़, ‘हमसाया’ के सेट पर क्यों भिड़ीं एक्ट्रेसेज़

सत्यम शिवम सुंदरम के म्यूजिक की हुई तारीफ

फिल्म के संगीत की भी खूब तारीफ हुई। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत और लता मंगेशकर की आवाज में “सत्यम शिवम सुंदरम” और मुकेश का आखिरी गीत “चंचल शीतल निर्मल कोमल” आज भी क्लासिक गानों की लिस्ट में शुमार हैं।

आज के दौर में भी प्रासंगिक है सत्यम शिवम सुंदरम

47 साल गुजर जाने के बावजूद, यह फिल्म आज भी उतनी ही असरदार और सार्थक है। जब भी हम इस फिल्म को देखते हैं हमें ये सोचने पर मजबूर कर देती है कि असली सौंदर्य का मतलब क्या है, इसे देखकर हमें लगता है कि वाकई सिनेमा का मकसद कुछ ऐसा ही होना चाहिए। सत्यम शिवम सुंदरम सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि राज कपूर की दूरदर्शिता, जीनत अमान की हिम्मत और उस दौर के समाज का आईना थी।