‘बजरंगी भाईजान’ सलमान खान के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने उनके इमोशनल साइड को फैंस तक पहुंचाया। उनके इस किरदार का श्रेय काफी हद तक फिल्म निर्माता कबीर खान को जाता है, जिन्होंने सलमान को एक ऐसे किरदार में ढालने का साहस किया जो उन एक्शन से भरपूर और असाधारण किरदारों से बिल्कुल अलग था जिनसे सलमान आमतौर पर जुड़े रहे हैं। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित एक्सप्रेसो के आठवें एडिशन में, कबीर ने बताया कि कैसे उन्होंने ‘बजरंगी भाईजान’ में सलमान को कास्ट किया और कैसे उनके बदलते रिश्ते ने फिल्म को आकार देने में मदद की।

खुलकर बात करते हुए, कबीर खान ने बताया: “एक था टाइगर में, सलमान के साथ मेरी काफी खींचतान हुई, क्योंकि उस समय मैंने सिर्फ दो फिल्में की थीं, और वो इंडस्ट्री के बादशाह थे। लेकिन उस खींचतान में, मैं उन्हें समझने लगा। मैंने उनके साथ काफी समय बिताया और महसूस किया कि वो कुछ मुद्दों पर, जैसे भारत की साझी संस्कृति, धर्मनिरपेक्षता, बहुत दृढ़ता से सोचते हैं… और मैंने उनसे कहा, ‘लेकिन उन्होंने इसे कभी उस मंच पर व्यक्त नहीं किया जहां आपको पूजा जाता है। ऐसा क्यों?'”

‘एक था टाइगर’ की अपार सफलता के बावजूद, कबीर खान ने खुलासा किया कि वो सीक्वल बनाने के इंडस्ट्री के फॉर्मूले को अपनाने से हिचकिचा रहे थे। “एक था टाइगर बनाने के बाद, एक और टाइगर बनाने का भारी दबाव था। हमारी इंडस्ट्री में यही आम धारणा है: आप एक हिट फिल्म बनाते हैं, तो आपको एक और हिट फिल्म बनानी ही पड़ती है। न्यू यॉर्क के बाद भी, लोगों ने मुझसे सीक्वल बनाने को कहा। और मुझे कहना पड़ा, ‘क्या आपने फिल्म देखी है? मैंने सबको मार दिया है, मैं सीक्वल कैसे बना सकता हूं?’ मैं उस रास्ते पर नहीं जाना चाहता था। मैं ‘टाइगर 2’ नहीं बनाना चाहता था। मैंने एक्शन के साथ काम कर लिया था और सोचा, ‘ठीक है, बस बहुत हो गया। अब आगे बढ़ना है।'”

कबीर ने यह भी बताया कि कैसे ‘बजरंगी भाईजान’ से उन्हें मेनस्ट्रीम सिनेमा में कदम रखने मदद मिली। इसके बारे में कबीर ने कहा, “एक तरह से, इसने वो सब कुछ एक साथ ला दिया जो मैं हमेशा से करने की कोशिश कर रहा था। जब मैं डॉक्यूमेंट्री से मेनस्ट्रीम सिनेमा में आया, तो मुझे पता था कि मैं मेनस्ट्रीम सिनेमा का फॉर्मेट अपनाना चाहता हूं, लेकिन साथ ही एक राजनीतिक आधार भी रखना चाहता हूं और मैंने हमेशा उस संतुलन की तलाश की।”