जानेमाने गीतकार गुलजार ने देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों का समर्थन करते हुए शनिवार को कहा कि लेखक के पास अपना विरोध जताने का यही एक तरीका होता है। कन्नड़ लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या और बुद्धिजीवियों पर हमले की अन्य घटनाओं के विरोध में कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए हैं।
81 साल के गुलजार ने कहा कि हत्या में अकादमी का कोई कसूर नहीं है, लेकिन लेखक चाहते थे कि संस्था इन घटनाओं का संज्ञान ले और अपना विरोध जताए। गुलजार ने कहा, ‘‘हम सभी को दुखी करने वाली हत्या कहीं न कहीं व्यवस्था…सरकार का कसूर है….पुरस्कार लौटाना विरोध का एक तरीका है। लेखकों के पास अपना विरोध जताने का और कोई तरीका नहीं होता। हमने इस तरह की धार्मिक असहिष्णुता कभी नहीं देखी। कम से कम, हम खुद को अभिव्यक्त करने में डरते नहीं थे।’’
सांप्रदायिक असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए गुलजार ने इन दावों को खारिज किया कि पुरस्कार लौटाने का लेखकों का फैसला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘‘कभी नहीं सोचा था कि कभी ऐसी स्थिति भी आएगी कि आदमी के नाम से पहले उसका धर्म पूछा जाएगा। ऐसे हालात कभी नहीं थे…..कोई लेखक भला क्या राजनीति कर सकता है? एक लेखक तो बस अपने दिल, दिमाग और आत्मा की बात बोलता है । वे समाज के अंत:करण के रक्षक हैं। वे समाज की आत्मा के रक्षक हैं।’’