अभिनेत्री रेखा (Rekha) की जिंदगी किसी पहेली से कम नहीं रही है। पहले बचपन में उन्हें तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा और फिर निजी जिंदगी में। फिल्मी गलियारों में रेखा कि पर्सनल लाइफ को लेकर तमाम बातें होती हैं। खासकर बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल से उनकी शादी को लेकर। दिल्ली के मिडिल क्लास फैमिली में जन्मे मुकेश ने 13 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। कई साल तक छोटे-मोटे काम करते रहे और 70 के दशक में 24 साल के मुकेश ने अपनी खुद की कंपनी डाली।
ऐसे हुई रेखा और मुकेश की मुलाकात: इस कंपनी का नाम था हॉटलाइन, जो किचन के सामान बनाती थी। धीरे-धीरे उनकी कंपनी तेजी से आगे बढ़ने लगी और मुकेश की भी दिल्ली के अभिजात्य वर्ग में पैठ बनने लगी। दिल्ली के छतरपुर स्थित अपने फार्म हाउस में लैविश पार्टियां आयोजित करने के लिए मशहूर मुकेश बॉलीवुड को लेकर एक तरीके से ऑब्सेस्ड थे।
वे किसी न किसी तरीके से बॉलीवुड सेलेब्स से मेलजोल बढ़ाने की कवायद में लगे रहते। मशहूर फैशन डिजाइनर बीना रमानी मुकेश और रेखा की कॉमन फ्रेंड थीं और उन्होंने ही पहली बार दोनों की मुलाकात कराई थी। यहीं से रेखा और मुकेश के बीच बातचीत और मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ।
10 बजे मंदिर खुलवाकर की शादी:दोनों की मुलाकात को मुश्किल से एक महीने ही हुए थे कि 4 मार्च 1990 को मुकेश अचानक मुंबई पहुंच गए और रेखा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। रेखा भी तैयार हो गईं। वे जुहू में किसी मंदिर की तलाश में निकल गए। तब तक रात के करीब 10 बज चुके थे। रेखा की जीवनी ‘रेखा: कैसी पहेली जिंदगानी’ में लेखक यासिर उस्मान लिखते हैं कि जुहू के इस्कॉन टेंपल में उस वक्त जबरदस्त भीड़ थी, लेकिन इसी मंदिर के सामने एक और मंदिर नजर था, मुक्तेश्वर देवालय। मुकेश ने इस मंदिर के जूनियर पुजारी संजय को जगाया और कहा कि वे तुरंत शादी करना चाहते हैं। वो पशोपेश में था, लेकिन जब उसकी नजर रेखा पर पड़ी तो नींद गायब हो गई।
यूं तो शाम की आरती के बाद मंदिर खोलने पर पाबंदी होती है और रात के समय शादी करवाने की भी मनाही थी, लेकिन पुजारी संजय ने नियम तोड़ कर दोनों की शादी कराई। इस तरह 37 साल के मुकेश और 36 साल की रेखा पति-पत्नी बन गए। यासिर उस्मान के मुताबिक बाद में इसी गलती के लिए पुजारी संजय को मंदिर से निकाल दिया गया था।
पति की इस ज़िद से परेशान हो गईं रेखा: हालांकि शादी के 3 महीने बाद ही रेखा और मुकेश की शादी में तमाम दिक्कतें आने लगीं। रेखा को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्हें लगने लगा कि मुकेश उन्हें ट्रॉफी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। रेखा को एक और चीज से दिक्कत होने लगी थी। वह थी मुकेश की मशहूर और प्रभावशाली लोगों से संबंध बढ़ाने की सनक।
यासिर उस्मान लिखते हैं कि एक बार राजीव गांधी के फार्म हाउस के सामने से गुजरते हुए मुकेश जिद पर अड़ गए कि रेखा उन्हें राजीव गांधी से मिलवा दें। वे कहने लगे कि चलो अंदर चलकर उन्हें हैलो बोल देते हैं… मुझे ऐसे लोगों से जान-पहचान की जरूरत है। रेखा ने इससे इनकार कर दिया।
सिंधिया से मिलवाने की ज़िद करने लगे: थोड़े दिन बाद ही मुकेश रेखा को साथ लेकर ग्वालियर जाने की जिद पर अड़ गए, जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता माधवराव सिंधिया क्रिकेट मैच का आयोजन कर रहे थे। मुकेश का कहना था कि वह (सिंधिया) मेरे बिजनेस में बहुत काम आ सकते हैं। उस वक्त मुकेश ग्वालियर में अपनी फैक्ट्री शुरू करने की योजना बना रहे थे। रेखा इस बात से बेहद खफा हुईं और साफ साफ कह दिया कि अपने बिजनेस में मुझे मत इन्वॉल्व करो।
6 महीने बाद ही ले लिया तलाक का फैसला: रेखा और मुकेश के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। हालांकि मुकेश ने रेखा को मनाने का भी प्रयास किया, लेकिन रेखा ने दूरी बनाना ज्यादा ठीक समझा। इसी बीच सितंबर 1990 में दोनों ने आपसी सहमति से तलाक का फैसला ले लिया। इस तरह शादी के 6 महीने बाद ही उनका रिश्ता खात्मे की कगार पर पहुंच गया। पहले से ही डिप्रेशन का शिकार रहे मुकेश रेखा से अलगाव के बाद और टूट गए। 2 अक्टूबर 1990 को उन्होंने अपने फार्म हाउस में सुसाइड कर लिया। यासिर उस्मान लिखते हैं कि मुकेश ने फंदा तैयार करने के लिए जिस दुपट्टे का इस्तेमाल किया वो रेखा का ही था।