अभिनेत्री रवीना टंडन ने न केवल बॉलीवुड बल्कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया है। अपने करियर की शुरुआत में वह तेलुगू और तमिल फिल्में कर चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने दोनों इंडस्ट्री में काम करने के अपने अनुभव और इनमें अंतर को लेकर बात की। रवीना को लगता है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री अपने जड़ों से जुड़ी है, इसलिए सफल हो रही है। जबकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री वेस्टर्न कल्चर की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही, जिसके कारण ये फेल हो रही है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में रवीना टंडन ने साउथ स्टार्स कमल हासन, चिरंजीवी और नागार्जुन समेत अन्य एक्टर्स के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में शेयर किया।

राजश्री अनप्लग्ड के साथ बातचीत में रवीना ने कहा कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री, बॉलीवुड की तुलना में ज्यादा अनुशासित है। दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर है और वो ये कि साउथ इंडस्ट्री अरनी जड़ों से जुड़ी है और बॉलीवुड में ऐसा नहीं है, ये ही इसकी विफलता का बड़ा कारण है।

रवीना ने कहा, “साउथ इंडस्ट्री में मुझे जो सबसे ज्यादा अच्छा लगा वह यह कि वे अपनी जड़ों और संस्कृति से इतनी मजबूती से जुड़े हुए कि उनकी फिल्में सुपर-डुपर हिट होती है। वे ऐसी फिल्में ज्यादा नहीं बनाते जो राजनीति या जाति आदि पर आधारित हो। मुझे लगता है कि यही काम करता है। जबकि मुंबई में (बॉलीवुड) वेस्टर्न कल्चर को फॉलो किया जाता है। मुंबई में उन फिल्मों की डीवीडी कॉपी बनाना शुरू कर दिया है, जो अच्छा बिजनेस नहीं कर पाईं।

आपको बता दें कि रवीना ने 1993 में ‘बंगारू बुलोदु’ के साथ तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था। इसके अलावा तमिल फिल्म इडस्ट्री में उनकी शुरुआत 1994 में ‘साधु’ नामक फिल्म से हुई। वह हाल ही में सुपरहिट कन्नड़ फिल्म ‘के.जी.एफ: चैप्टर 2’ में नजर आई थीं।

रवीना का कहना है कि साउथ इंडस्ट्री में उन्हें खाने पीने या वजन को लेकर इतना परेशान नहीं होना पड़ता था। वह कुछ भी खा सकती थीं, वह के फिल्म निर्माता को उनके वजन बढ़ने से कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन मुंबई में उन्हें अपने वजन को कम करना पड़ा। एक्ट्रेस ने कहा, “जब मैं बॉम्बे (मुंबई) आती थी तो हर कोई कहता था कि मेरा वजन बढ़ गया है। जब मैं साउथ जाती था तो वे कहते थे कि तुमने वजन क्यों कम कर लिया? फिर मैं बहुत खाती है। तो मुझे इसमें बहुत मजा आता था। मैं डाइटिंग छोड़कर इडली, डोसा और नारियल की चटनी खूब खाती थी।”