80-90 के दशक की बेहतरीन अदाकारा रत्ना पाठक (Ratna Pathak) आज अपना 68वां जन्मदिन मना रही हैं। उनकी फैन फॉलोइंग अच्छी खासी है, जो सोशल मीडिया पर उन्हें जन्मदिन विश कर रही है। एक्ट्रेस का जन्म 8 मार्च 1957 को हुआ था। उन्होंने अपने करियर में फिल्मों के साथ-साथ छोटे पर्दे पर भी काम किया है और टीवी सीरियल्स ने उन्हें करियर में सक्सेसफुल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्हें वूमन सेंट्रिक विचारों और फिल्मों के लिए भी काफी लाइमलाइट बटोरी है। आज वो भले ही एक सफल अभिनेत्री हैं लेकिन, एक समय था जब उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। कई बार तो रिजेक्शन का सामना करना पडा़ था। ऐसे में सफलता को लेकर एक्ट्रेस कहती हैं कि टीवी ने उनके करियर को बचाया है। चलिए बताते हैं उनकी जर्नी के बारे में।
रत्ना पाठक ने बॉलीवुड में लंबा सफर तय किया है। लेकिन, उनके लिए ये आसान नहीं था। काफी उतार-चढ़ाव देखे। रत्ना ने करियर की शुरुआत फिल्मों से की। उनकी डेब्यू फिल्म ‘मंडी’ थी, जिसमें उन्होंने मालती देवी का रोल प्ले किया था। इसी साल उन्होंने एक ब्रिटिश फिल्म में भी काम किया, जिसमें वो शशि कपूर के साथ नजर आईं। फिल्म का टाइटल ‘हीट एंड डस्ट’ था। एक्ट्रेस ने करीब दो सालों तक फिल्में की। लेकिन, इस बीच कुछ खास रोल नहीं ऑफर हुआ। इन दो सालों में रत्ना खास पहचान नहीं बना पाई थीं।
रत्ना पाठक के लिए एक्टिंग पैशन बन चुकी थी या यूं कहे कि पैशन से ज्यादा प्रोफेशन, क्योंकि उन्हें इस काम के पैसे मिलने लगे थे। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के दौरान हुई नसीरुद्दीन शाह से मुलाकात के बाद वो उनके साथ लगातार एक्टिंग की प्रैक्टिस करती रहीं। फिल्मों में खास रोल और पहचान ना मिलने की वजह से अभिनेत्री ने साल 1980 में टीवी की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने 17 साल टीवी की दुनिया में काम किया और घर-घर में पहचान बनाने में सफल रहीं।
जब रत्ना पाठक को झेलना पड़ा था रिजेक्शन
इसके अलावा रत्ना पाठक ने एक बार पिंकविला से बातचीत में बताया था कि टीवी ने उनके करियर को बचाया है। उनका मानना है कि छोटे पर्दे की वजह से वो घर-घर में पहचानी जानी लगीं। एक्ट्रेस ने ‘फिल्मी चक्कर’, ‘इधर-उधर’ और ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ ने उन्हें काफी पॉपुलर किया। वो मानती हैं कि इस दौरान उनके साथ अच्छा हुआ कि उन्हें टिपिकल रोल्स नहीं करने पड़े थे। एक्ट्रेस ने बताया था कि टीवी में उन्होंने हटकर किरदार किए। रत्ना मानती हैं कि टीवी की दुनिया में हर तरह के इंसान के साथ काम मिलता था। फिर वो कैसा भी क्यों ना हो।
रत्ना पाठक ने बताया कि उन्होंने फिगर को लेकर, स्किन कलर को लेकर और अच्छा ना दिखने की वजह से कई बार रिजेक्शन का सामना किया। उन्होंने बताया कि वो ऑडिशन देती थीं तो उन्हें कुछ ना कुछ कहकर रिजेक्ट कर दिया जाता था। वो टिपिकल हीरोइन के फॉर्मेट में सेट नहीं हो पाती थीं। रिजेक्शन तो उन्हें एक बार नहीं बल्कि ना जाने कितनी बार मिले हैं। उन्हें फर्क नहीं पड़ा। उन्हें काम मिला, अच्छा काम किया, जिससे उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।