राम गोपाल वर्मा, जो अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ-साथ सिनेमा के प्रति अपने गहरे लगाव के लिए भी जाने जाते हैं। वह सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहते हैं और हर मुद्दे पर अपनी राय साझा करते हैं। संदीप रेड्डी वांगा की ‘एनिमल’ से लेकर ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ तक, उन्होंने सब फिल्मों को देखकर अपनी राय साझा की। अब आदित्य धर की ‘धुरंधर’ का भी उन्होंने रिव्यू दिया है।

उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ के बारे में एक लंबा पोस्ट साझा किया है। वर्मा ने इसे भारतीय सिनेमा में एक क्वांटम लीप बताया और इसी के साथ आदित्य धर के निर्देशन की भी खुलकर सराहना की। उन्होंने लिखा, “आदित्य धर यहां सिर्फ सीन डायरेक्ट नहीं करते… वह किरदारों के साथ-साथ हम दर्शकों की मानसिक अवस्था को भी इंजीनियर करते हैं। यह फिल्म आपसे ध्यान नहीं मांगती, बल्कि उसे अपने आप नियंत्रित कर लेती है। पहले ही शॉट से यह एहसास होने लगता है कि कुछ ऐसा शुरू हो चुका है, जिसे अब रोका नहीं जा सकता। दर्शक सिर्फ देखने वाला नहीं रह जाता, बल्कि पर्दे पर घट रही घटनाओं का सहभागी बन जाता है।”

उन्होंने आगे लिखा, “इस फिल्म के किरदार अपने कंधों पर अपना अतीत ढोते हुए आते हैं और फिल्म दर्शकों पर इतना भरोसा करती है कि वह उनके ज़ख्म पढ़ लें, बजाय इसके कि उनकी बैकस्टोरी जबरन परोसी जाए। यह आत्मविश्वास, जिसे आसानी से घमंड समझ लिया जा सकता है, दरअसल वही वजह है जो धुरंधर को भारतीय सिनेमा के लिए एक टर्निंग पॉइंट बनाता है। धर यह मानकर चलते हैं कि दर्शक समझदार हैं, और यही किसी निर्देशक द्वारा दर्शकों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है, जबकि ज़्यादातर फिल्ममेकर अपनी फिल्मों को जरूरत से ज़्यादा सरल बना देते हैं।”

कहानी से आगे बढ़कर आरजीवी ने फिल्म की तकनीकी खूबियों जैसे साउंड डिजाइन, सिनेमैटोग्राफी और एक्शन कोरियोग्राफी की भी सराहना की। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि जो चीज इस फिल्म को वास्तव में खास बनाती है, वह है इसकी सोच। यह फिल्म किसी ट्रेंड के पीछे भागने या मान्यता पाने की कोशिश नहीं करती। यह एक गंभीर घोषणा है कि भारतीय सिनेमा को सफल होने के लिए खुद को कमजोर करने की ज़रूरत नहीं है और न ही बिना सोचे-समझे हॉलीवुड की नकल करने की। आदित्य धर ने साबित कर दिया है कि सिनेमा अपनी जड़ों से जुड़ा रहकर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो सकता है।”

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आदित्य धर ने किया धन्यवाद

राम गोपाल वर्मा की तारीफ पर आदित्य धर ने भी बेहद गर्मजोशी से प्रतिक्रिया दी। आदित्य धर ने लिखा, “सर, अगर यह ट्वीट एक फिल्म होता, तो मैं इसे पहले दिन, पहले शो में देखने जाता, आख़िरी कतार में खड़ा रहता और बदला हुआ इंसान बनकर बाहर निकलता। मैं सालों पहले मुंबई एक सूटकेस, एक सपना और इस ‘बेहद अव्यावहारिक’ भरोसे के साथ आया था कि एक दिन राम गोपाल वर्मा के साथ काम करूंगा। ऐसा कभी हो नहीं पाया। लेकिन इस सफर में, जाने-अनजाने, मैंने आपके सिनेमा के भीतर काम किया। आपकी फिल्मों ने मुझे सिर्फ फिल्म बनाना नहीं सिखाया, बल्कि खतरनाक तरीके से सोचना सिखाया।”

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धर यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे लिखा, “आपका यह कहना कि धुरंधर एक ‘क्वांटम लीप’ है, सुनकर सब कुछ अविश्वसनीय, भावुक और सच कहूं तो थोड़ा नाइंसाफी भरा लगता है… क्योंकि अब इसके बाद मैं जो भी करूंगा, उसे इस ट्वीट के स्तर पर खरा उतरना होगा। अगर मैंने यह मान लिया कि दर्शक समझदार हैं, तो इसकी वजह यह है कि आपने पूरी एक पीढ़ी को सिखाया कि सिनेमा को अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कभी माफी नहीं मांगनी चाहिए। इस उदारता, इस पागलपन और इस मान्यता के लिए धन्यवाद। मेरे भीतर का फैन अभिभूत है। मेरे भीतर का फिल्ममेकर चुनौती महसूस कर रहा है। और वह लड़का, जो मुंबई आरजीवी के साथ काम करने का सपना लेकर आया था… आज आखिरकार खुद को देखा हुआ महसूस कर रहा है।”