भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने कल केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने के लिए 2 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया और कहा कि इसके बाद हम आगे की प्लांनिंग करेंगे। राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी रखने की बात दोहराते हुए यह भी कहा कि वो पूरे देश में यात्रा करेंगे और पूरे देश में आंदोलन होगा। राकेश टिकैत इसी बीच आज तक के शो, ‘सीधी बात’ का हिस्सा बने।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला के सवालों का जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा एक साज़िश थी। वो बोले, ‘दिल्ली पुलिस को बंधक बनाकर उससे ये साज़िश कारवाई गई। जिस दिन इस बात का पर्दाफाश होगा, किताब लिखी जाएगी। ये इनकी चाल है कि हिंसा करवाकर आंदोलन को खत्म कर दो।’
प्रभु चावला ने जब राकेश टिकैत से पूछा कि आप उस घटना से शर्मिंदा नहीं हैं, माफ़ी नहीं मांगेंगे तो राकेश टिकैत का जवाब था, ‘माफ़ी हम क्यों मांगेंगे, माफी उनको मांगनी चाहिए। लाल किले पर चढ़ाने वाला कौन है? गड़बड़ करेंगे दूसरे और माफी मांगे किसान।’
राकेश टिकैत के इस बयान पर लोग भी अपनी खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एम कुमार नामक यूज़र ने ट्विटर पर जवाब देते हुए लिखा, ‘आप बीजेपी वालों से माफ़ी मांगने को क्यों नहीं कह रहें। गलती तो उन्हीं की है, किसान आंदोलन को बदनाम करने की, तो बीजेपी माफ़ी मांगे।’
घनश्याम मंगलाव नामक यूज़र ने लिखा, ‘देश विरोधी चेहरों को प्रमोट करना आपकी प्राथमिकता है। ये नया भारत है, जयाचंदों से हारने वाला नहीं। हम कुछ नहीं भूलेंगे, सबको सबक सिखाया जाएगा।’ सचिन दीवान ने राकेश टिकैत से सवाल किया, ‘तो जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा है, उनको छोड़ने की मांग क्यों कर रहें हैं राकेश साहब?’
एम के राजदान नामक यूज़र ने लिखा, ‘26 जनवरी के दिन राकेश टिकैत और दूसरे किसान नेताओं ने जो देश की प्रतिष्ठा और छवि धूमिल की है, उसके लिए इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। देश में किसान आंदोलन के नाम पर देश विरोधी काम करने वाले इन सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।’