Rakesh Tikait: कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को चार महीने हो चुके हैं। ऐसे में राकेश टिकैत अभी भी अपने मुद्दों को लेकर टस से मस नहीं हुए हैं। राकेश टिकेत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें वह मोदी सरकार पर निशाना साधते और मतदाताओं को संदेश देते दिख रहे हैं। बंगाल और असम के मतदाताओं से वह कहते हैं कि ‘नक्कालों से सावधान बंगाल, असम के सम्मानित मतदाताओं जुमलों व झूठ के सपने बेचने वालों को वोट न दें।’
राकेश टिकैत ने अपने एक अन्य पोस्ट में कहा- ‘गुजरात में किसान को अपनी बात कहने तक पर भी पाबंदी है। वहां किसानों को एकजुट करने का वक्त आ गया, संघर्ष और तेज करेंगे।’ राकेश टिकैत के इन पोस्ट्स पर लोगों के भी रिएक्शन सामने आने लगे।
एक यूजर ने राकेश टिकैट के पोस्ट पर कमेंट कर लिखा- ‘तो क्या असम को भारत से काटने वालों को वोट देना है? अपने स्वार्थ कि खातिर देश के गद्दार को समर्थन करते शर्म नहीं आती है? आदित्य कुमार नाम के यूजर ने लिखा- ‘देश के सम्मानित किसानों, इस झूठे किसान के बहकावे से बाहर निकलो। ये यहां सिर्फ राजनीति कर रहा है, इसको आप की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है। अगर मतलब होता तो ये बात चीत करता। किसी भी बात पर अड़ जाने से बात वहीं रुक जाती है, जो इसने किया है। सरकार के ना सुनने पर क्या सरकार से युद्ध करोगे?
विजय पासवान नाम के यूजर ने कमेंट कर कहा- अपील करने वाले की खुद की जमानत अपने क्षेत्र में ही जब्त हो चुकी है। बहकावे में न आएं, अपनी अक्ल लगाएं। कैलाश चौरसिया नाम के यूजर ने लिखा- वैसे भी तुम समझते हो तुम्हारे कार्यक्रमों {सभाओं} में किसान आते हैं, तो तुम्हें गलतफहमी है। तुम्हारी सभाओं और आंदोलनों में 80% कांग्रेसी और 20% अन्य दलों के मोदी विरोधी पहुंचते हैं।
नक्कालों से सावधान
बंगाल,असम के सम्मानित मतदाताओं जुमलो व झूठ के सपने बेचने वालो को वोट न दे।#NoVoteToBJP @GaonConnection @ravishndtv @OfficialBKU @abhisar_sharma @AHindinews @Kisanektamorcha— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) March 27, 2021
एक यूजर ने कहा- बंगाल की जनता ने तुम्हे बेरंग लिफाफे की तरह गजीपुर वापस भेजा। जागरूक बंगाल के लोग किसान और दलाल के बीच का फर्क समझते हैं।
शेखर नाम के यूजर बोले- ‘तुम्हारा आंदोलन किसान का नहीं, फर्जी राजनीतिक ड्रामा है, जिसकी हवा निकल गई है। कोई किसान नहीं सुनता तुम्हारी। अब तो लोग ला-ला कर भी 100- 200 की भीड़ इकट्ठा हो रही है। घर जाके सो जाओ अब। कुछ ना होगा तुमसे। फिर जमानत जप्त।