राजेश खन्ना ने साल 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस फिल्म में राजेश खन्ना को बतौर एक्टर कुछ खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली थी, हालांकि खबर फैल गई थी कि इंडस्ट्री में नया लड़का आया है। इस फिल्म की रिलीज से पहले शशि कपूर की भी एक फिल्म रिलीज हुई थी, जो कि सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी। शशि कपूर की फिल्म का नाम था-जब जब फूल खिले (1965)। इस फिल्म की वजह से ही राजेश खन्ना को अपना नाम बदलना पड़ा था। असल में जब राजेश खन्ना फिल्मों में आए तब उन्होंने नाम चेंज करने का फैसला कर लिया था।
राजेश खन्ना का असल नाम है जतिन खन्ना। जब राजेश खन्ना अपने पुराने नाम के साथ बंबई आए थे तब उनके मन में ऐसा कुछ नहीं था कि वह फिल्मों के लिए अपना नाम बदलेंगे। लेकिन शशि कपूर की ‘जब जब फूल खिले’ आने के बाद उन्हें ये अहसास हुआ कि उन्हें नाम बदलना ही पड़ेगा। दरअसल, शशि कपूर की इस फिल्म में एक कलाकार थे जिनका नाम भी जतिन खन्ना था। अब चूंकि फिल्म रिलीज के बाद हिट हो गई थी, तो ऐसे में इस फिल्म के सभी कलाकारों की पॉपुलैरिटी बढ़ गई थी।
उसी वक्त राजेश खन्ना भी फिल्मों में डेब्यू करने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में वह बिलकुल नहीं चाहते थे कि इंडस्ट्री में दो नाम क्लैश करें या लोगों को किसी भी तरह की कन्फ्यूजन हो। ऐसे में उन्होंने ‘जतिन खन्ना’ से अपना नाम बदल कर राजेश खन्ना कर लिया।
बता दें, जब फिल्म आखिरी खत में राजेश खन्ना का सिक्का नहीं चला तो वह थोड़े मायूस हो गए थे। लेकिन फिर एक ऐसा दौर आया जब फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ राजेश खन्ना का नाम ही छाया रहा। ‘आखिरी खत’ रिलीज होने के बाद दो साल तक साल राजेश खन्ना स्ट्रगल करते रहे। फिर आया राजेश खन्ना का दौर, 1969 से लेकर 1971 तक एक्टर ने सुपरस्टार बन कर फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया।
बता दें, राजेश खन्ना शुरू से ही एक अदाकार बनना चाहते थे। जब इस बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को बताया था, तब राजेश खन्ना का परिवार उनके इस फैसले से खुश नहीं था। लेकिन राजेश खन्ना की जिद के आगे उनकी पेरेंट्स की भी नहीं चली। लेकिन जब माता-पिता ने राजेश खन्ना को फिल्मों में काम करने की इजाजत दी तो उनके आगे एक शर्त भी रखी थी।