कहते हैं कि हर शख्स का दौर होता है। ऐसा ही दौर था राजेश खन्ना का। लोग उनके पीछे पागल थे। डायरेक्टर-प्रोड्यूसर काका से मुलाकात के लिए घंटों इंतजार किया करते थे। राजेश खन्ना का गुरु कुर्ता, गर्दन झुकाकर और आंखें टेढ़ी कर बात करना स्टाइल स्टेटमेंट बन गया था। हालांकि बाद के दिनों में जब राजेश खन्ना का करियर ढलान पर आया तो वे बिल्कुल अकेले पड़ गए। ठीक इसी वक्त अमिताभ बच्चन का सुनहरा दौर शुरू हुआ।

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राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने साथ ‘आनंद’ फिल्म में काम किया। यह फिल्म हिट साबित हुई। लोगों ने दोनों की जोड़ी को खूब पसंद किया। हालांकि कुछ वक्त बाद दोनों अभिनेताओं के बीच कोल्ड वार भी शुरू हो गया। अपने रूमानी और रोमांटिक अंदाज के लिए चर्चित राजेश खन्ना लगभग एक ही तरह की फिल्में कर रहे थे, जबकि अमिताभ बच्चन कुछ नया लेकर आए और दर्शकों को यह पसंद आया।

जैसे-जैसे काका की फिल्में पीटने लगीं, वो अमिताभ पर निजी हमले करने लगे। हालांकि अमिताभ बच्चन ने कभी इसका जवाब नहीं दिया। साल 1990 में मूवी मैगजीन ने तय किया कि राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का एक ज्वाइंट इंटरव्यू किया जाए। दोनों अभिनेता इस बात के लिए तैयार भी हो गए। इंटरव्यू के लिए मुंबई के सैंटौर होटल का कमरा बुक किया गया।

17 साल बाद साथ बैठे थे दोनों: वरिष्ठ पत्रकार यासिर उस्मान ने अपनी किताब ‘राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे’ में इस घटना का जिक्र करते हुए तब मूवी मैगजीन के एडिटर रहे दिनेश रहेजा के हवाले से लिखता है, ”17 साल बाद दोनों अभिनेता एक साथ आए थे। ऐसा शायद पहली बार हुआ था जब राजेश खन्ना बिना लेट-लतीफी के बिल्कुल समय पर पहुंचे हों। राजेश खन्ना ने अपनी पसंदीदा व्हिस्की मंगाई और अमिताभ के लिए वाइन ऑर्डर की।’

‘ये फिसलते तो मैं मुस्कुराता’: बातचीत का सिलसिला चल निकला। बातों ही बातों में राजेश खन्ना ने कबूल किया कि मैं अपने आप को भगवान के बराबर समझने लगा था। इसी दौरान उन्होंने अमिताभ बच्चन की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि ‘दीवार’ के बाद मुझे हमेशा इनसे जलन होती थी। जब-जब यह फिसलते थे तब-तब मैं मुस्कुराता था क्योंकि ये वही गलतियां कर रहे थे जो मैंने की थी।’

‘सब किस्मत से मिलता है’: आपको बता दें कि बाद के दिनों में एक इंटरव्यू में जब राजेश खन्ना से पूछा गया कि लोग कहते हैं कि अगर वो टिके रहते तो अमिताभ बच्चन सुपरस्टार नहीं बन पाते। इस सवाल के जवाब में काका ने कहा था कि सब किस्मत की बात होती है। जिसकी जो किस्मत है, काम है…ये ऊपर वाले की मर्जी है। मुझे खुशी है कि वो इतने कामयाब हैं…।

अचानक फूल आने बंद हो गए… जब राजेश खन्ना अपने करियर की बुलंदी पर थे, तब उनकी एक झलक पाने के लिए उनके बंगले के बाहर हजारों की तादाद में लोग इकट्ठा होते थे। उनका ड्राइंग रूम गुलदस्तों-फूलों से भरा रहता था। काका का सुनहरा दौर खत्म होने के साथ यह सिलसिला भी खत्म हो गया था।

खुद राजेश खन्ना ने अपने एक इंटरव्यू में स्वीकार किय़ा था कि एक दिन अचानक फूल आने बंद हो गए। बकौल राजेश खन्ना, जब मैं फिल्में करता था तो लोग फूल भेजते थे…अपना प्यार देते थे…। फिल्में छोड़ी तो ये सिलसिला भी खत्म हो गया।