कलाकार-अजय देवगन, इलियाना डीक्रूज, सौरभ शुक्ला
जो लोग मसाला फिल्मों के शौकीन हैं और जो अजय देवगन के फैन हैं उनको ‘रेड’ अच्छी लग सकती हैं। हालांकि इसमें मसाला उस तरह से नहीं है जैसी अजय देवगन की हालिया फिल्मों में रहा है। जैसे ‘सिंघम’ या ‘सिंघम रिटर्न्स’ या अन्य फिल्मों में। हो भी नहीं सकता था क्योंकि रेड नाम की इस फिल्म में वे पुलिस अफसर नहीं बल्कि आयकर अधिकारी बने हैं। ऐसा आयकर अधिकारी, जो कालेधान वालों के यहां छापे मारता है और इसीलिए किसी भी पोस्टिंग पर महीने-दो महीने से ज्यादा नहीं टिक पाता। बहुत जल्दी उसकी बदली हो जाती है। अजय देवगन ने इसमें अमय पटनायक नाम के जिस आयकर अधिकारी की भूमिका निभाई है वह लखनऊ के आसपास के एक नेता रामेश्वर सिंह (सौरभ शुक्ला) के यहां छापा मारता है। रामेश्वर सिंह सांसद है और राज्य यानी उत्तर प्रदेश के कई विधायक उसके समर्थक हैं। उसकी एक बड़ी हवेली है जिसका नाम वााइट हाउस है। कोई सरकारी कमर्चारी उसके घर में प्रवेश नहीं कर पाता। ऐसे शख्स के यहां छापा मारना तो हिम्मत का काम है। पटनाटक जोखिम मोल लेता है। रामेश्वर सिंह अपने खेल खेलता है। वह पटनायक की पत्नी (इलियाना डीक्रूज) पर कुछ गुंडों के द्वारा हमला भी करवाता है। पटनायक और दफ्तर के साथियों की जान पर भी बन जाती है। लेकिन ये कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी टस से मस नहीं होता। पर रामेश्वर भी चाल चलने में माहिर है। तो कौन जीतेगा? छापा मारनेवाला या जिसके घर पर छापा पड़ा है वह?
अजय देववन की फिल्म होते हुए भी इसमें किसी तरह का एक्शन नहीं है। यानी मारधाड़ बहुत कम है। हां कुछ गोलियां चलती हैं और भीड़ के हिंसक होने के भी कुछ दृश्य हैं। पर फिल्म मुख्य रूप से दो शख्सियतों के बीच तनाव की है। घाघ रामेश्वर और ईमानदार अफसर के बीच। हां, एक रहस्य की कुंजी जरूर है, जिसका पता आखिर में चलता है कि पटनायक को रामेश्वर सिंह के यहां मौजूद काले धन की जानकारी किसने दी। क्या कोई घर का भेदिया है यानी विभीषण? विभीषण वाला रहस्य आखिर तक है। दर्शक जान लेता है लेकिन रामेश्वर ये कभी नहीं जान पाता कि कि उसके घर में कौन विभीषण है और क्यों?
फिल्म बीच में कुछ धीमी हो जाती है। दर्शक बड़ी देर तक ये सोचता रहता है कि छापा कितनी देर का है। छापे के दृश्यों को कुछ और रोचक बनाया जा सकता था। पर जिन ं दृश्यों में रामेश्वर या उसकी अम्मा नहीं है, वे कुछ कम रोचक हैं। फिल्म में गाने डालने की कोई जरूरत नहीं थी। वे भी रोमांटिक गाने। जब हीरो-हीरोइन के बीच रोमांटिक पहलू पर फिल्म का जोर ही कम है। अजय देवगन की संजीदा भूमिका और सौरभ शुक्ला के खुर्राट और निर्दयी नेता वाले रोल के कारण ‘रेड’ में टकराव बना रहता है। फिल्म की अभिनेत्री इलियाना डीक्रूज सिर्फ एक भली पत्नी होने तक सीमित रहती है। उनके पास करने के लिए कुछ खास नहीं है। सिवाय इसके कि डरी रहें,क्योंकि पति हमेशा बदमाशों से पंगे लेता है।
इस फिल्म के आरंभ में ही कहा गया है कि ये कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है। और इसमें घटी घटनाओं का जो समय रखा गया है, उससे लगता है कि सारा मामला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल का है। प्रधानमंत्री का जो किरदार है उसकी आकृति और वेशभूषा इंदिरा गांधी से मिलती जुलती है। लेकिन उनका नाम कहीं नहीं है। सिर्फ संकेत है।