किसान आंदोलन अपने पूरे चरम पर है और आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों ने गणतंत्र दिवस परेड के समानांतर एक ट्रैक्टर रैली निकाली है। किसानों की मांग है कि बीजेपी सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस ले। सरकार ने इस संबंध में किसानों से बातचीत की लेकिन इस मसले का हल होता नहीं दिख रहा। इस मुद्दे पर कई लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि किसानों के आगे सरकार की सख़्ती नहीं चल पा रही।
वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), का नाम लेते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्विट किया, ‘साहिब संभलें.. संघ में किसान आंदोलन का कोई पाठ नहीं है।’ उनके इस ट्वीट पर यूजर्स की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। संदीप यादव नामक यूज़र ने लिखा, ‘आज पूंजीपतियों के हाथ में डीजल है तो वो किसानों के टैक्टर में डीजल देने से मना कर रहे हैं। सोचिए कल उनके हाथों में खेत आ गए तो आपकी नस्लों को गोदामों में से अनाज लेना महंगा पड़ जाएगा।’
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जगहों से ट्रैक्टर परेड में शामिल होने दिल्ली आ रहे किसानों ने यह शिकायत की थी कि कुछ पेट्रोल पंप उन्हें डीजल देने से मना कर रहे हैं। पुरुषोत्तम ने पुण्य प्रसून बाजपेयी को जवाब दिया, ‘संभलने की जरूरत अब छद्म सेक्युलर भेषधारियों को है क्योंकि अब भारत की जनता फूलों की माला के साथ साथ गांडीव भी धारण कर रही है।’
किसान पुत्र नामक यूज़र ने लिखा, ‘किसानों से जो टकराएगा वो चकनाचूर हो जाएगा। अन्नदाता के सम्मान में पूरा देश खड़ा है मैदा में। लहर भी होगी, ललकार भी होगा, दिल्ली में ट्रैक्टर रैली भी हो रही है।’ हितेंद्र पिथादिया ने लिखा, ‘साहब के लिए पढ़ाई का समय ख़त्म हो गया, अब परिणाम का इंतजार करें।’
साहिब….संभलें
संघ में किसान आंदोलन का कोई पाठ नहीं है…— punya prasun bajpai (@ppbajpai) January 25, 2021
बसंत राज ने लिखा, ‘गणतंत्र दिवस के समय चन्द किसान नेता और अमीर किसान अपनी ज़िद्द पर अड़े हुए हैं। अपने ही देश में उपद्रव करने वाले यह लोग संपूर्ण भारत के किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। कुछ स्वार्थी और अमीर किसान और महत्वाकांक्षी किसान नेता देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’
ई वैद्य ने लिखा, ‘वैसे भी संघ में सब उल्टा- सीधा पाठ ही पढ़ाया जाता है। अगर किसान आंदोलन का पाठ होता भी तो फायदा नहीं होता। वो भी उल्टा सीधा ही होता।’