हिंदी फिल्म जगत के महान अभिनेता, जिन्हें युगपुरुष कहा जाता था, 3 नवंबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। कपूर परिवार को फिल्म जगत से रूबरू कराने वाले पृथ्वीराज ही थे। उनका जन्म पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था। आज ही के दिन साल 1906 में उनका जन्म हुआ था और 29 मई 1972 में उनका निधन हो गया था। वैसे तो पृथ्वीराज या कपूर परिवार का एक भी शख्स पहचान का मोहताज नहीं है। परिवार से पृथ्वीराज ही ऐसे शख्स थे, जिन्होंने फिल्म जगत में कदम रखा था और पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा चलती गई।
उन्हें भारतीय सिनेमा का युगपुरुष कहा जाता था। उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में लोग ‘पापाजी’ कहकर बुलाते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि साल 1928 में एक्टिंग करियर बनाने के लिए वह अपनी बुआ से कुछ रुपए उधार मांगकर मुंबई आ गए थे। करियर के शुरुआत में एक्टर को काफी संघर्ष करना पड़ा था। वो फिल्म अभिनेता होने के साथ-साथ बेहतरीन थिएटर आर्टिस्ट भी थे।
ऐसे बदली थी किस्मत
हिंदी थिएटर में पृथ्वीराज कपूर का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मुंबई आने के बाद उन्होंने कुछ समय बतौर थिएटर आर्टिस्ट काम किया और करियर का पहला ब्रेक साल 1931 में ‘आलम आरा’ से मिला था। ये भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म थी। इसमें दिवंगत एक्टर अहम भूमिका में थे। इसके बाद पृथ्वीराजकपूर ने एक के बाद एक कई फिल्मों में काम किया। उन्होंने ‘मुगल-ए-आजम’, ‘आवारा’ और सिकंदर जैसी फिल्मों में काम किया।
पृथ्वीराज की बेस्ट फिल्में
पृथ्वी राज कपूर ने तमाम फिल्मों में काम किया, लेकिन जिन फिल्मों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है वो हैं- ‘विद्यापति’, ‘सिकंदर’, ‘दहेज’, ‘आवारा’, ‘जिंदगी’,’आसमान महल’, ‘तीन बहूरानियां। लेकिन उनकी बेस्ट फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ मानी जाती है। इस फिल्म में पृथ्वीराज ने शहंशाह जलालुद्दीन अकबर का किरदार निभाया जाता है। उनकी आवाज और डायलॉग आज भी लोग याद करते हैं।
मरने के बाद किए गए थे सम्मानित
पृथ्वीराज कपूर ने अपने फिल्मी करियर में तमाम फिल्में की हैं, जिनके लिए उन्हें पद्म भूषण और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उनके निधन के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।