अर्चना पूरन सिंह और परमीत सेठी ने लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद 1992 में गुपचुप शादी कर ली थी। तब से, ये जोड़ा अपने दो बेटों, आयुष्मान और आर्यमान सेठी की परवरिश करते हुए मजबूती से साथ खड़ा है। दोनों के रिश्ते में जो चीज आज भी बरकरार है वो है उनकी केमिस्ट्री। दोनों के बीच प्यार और दोस्ती उनके रिश्ते को और भी खूबसूरत बनाती है।
अर्चना पूरन सिंह अपने यूट्यूब चैनल पर अपनी जिंदगी की झलकियां और परिवार की मस्ती दिखाती रहती हैं। अपने लेटेस्ट व्लॉग में, सेठी परिवार ने मिलकर एक मजेदार कैडबरी सेलिब्रेशन विज्ञापन तैयार किया। त्योहारों की सामान्य चकाचौंध को छोड़कर, परिवार ने कमाल का अंदाज अपनाया – हर चॉकलेट बॉक्स में कुछ न कुछ गायब था और वो भी इसलिए क्योंकि ज्यादातर चॉकलेट परिवार के बॉयज पहले ही चुरा लेते थे।
जब अर्चना पूरन सिंह ने कैमरे पर एक बॉक्स खोला और उसे आधा खाली पाया, तो उन्होंने अपने बेटे आयुष्मान की ओर मुड़कर उसे मजाक में डांटते हुए कहा, “तुम यहां बैठकर ओवरएक्टिंग कर रहे हो!” आर्यमान अपने भाई को मजाक में मारने के लिए बीच में कूद पड़ा, लेकिन अर्चना उन्हें भगा देती हैं। कुछ ही देर बाद परमीत सेठी कैडबरी का एक और डिब्बा लिए हुए वहां पहुंचते हैं। अर्चना ने पूछती हैं, “तुमने सारे डिब्बे खोल दिए?” परमीत ने उनसे कहते हैं, “ये मेरा घर है, मेरी मर्जी!”
हल्की-फुल्की बातचीत जारी रहती है और परिवार ने दिवाली के तोहफों की लिस्ट में नाम गिनने शुरू करता है परमीत को अपने रिश्तेदारों को याद करने में दिक्कत हुई, तो अर्चना ने मजाक में कहती हैं, “तुम्हें कुछ भी याद नहीं रहता, सुबह उठने पर अपना नाम भी नहीं!”
अर्चना फिर मजाक में कहती हैं, “इस दिवाली कुछ नया हो जाए,” जिस पर परमीत ने पलटवार किया, “हां, उसे ले जाओ और इस दिवाली मेरे लिए कोई नया लाकर दो।” अर्चना ने आंखें घुमाते हुए कहा, “चुप रहो, वो मजाक पुराना हो गया है।”
बाद में, परिवार दिवाली पार्टी के लिए नाश्ता तैयार करने रसोई में इकट्ठा होता है। खाने के दौरान, उन्होंने त्योहारों की प्यारी यादें शेयर करते हुए परमीत सेठी ने बताते हैं कि वो पटाखों के लिए पैसे लेते थे, लेकिन कभी नहीं खरीदते थे। इसके बाद उनके बच्चे भी बचपन में पटाखे फोड़ने से लगी चोट को याद करते हैं।
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जब अर्चना पूरन सिंह की बारी आती है, तो परिवार ने उनके बोलने से पहले ही उनका जवाब भांप लेता है। “देहरादून में मेरी दिवाली सबसे अच्छी रही।” अर्चना हंसते हुए बोलती हैं, “खैर, मैं तो वहीं पली-बढ़ी हूं, और क्या उम्मीद कर सकते हो?”
परमीत ने अपनी हाजिरजवाबी से माहौल को फिर से हल्का करते हुए कहते हैं, “इसने मुझसे जायदाद के लिए शादी की थी।” फिर थोड़ा रुककर वो अपनी चाय का जिक्र करते हैं और फिर अर्चना हंसते हुए सहमति जताती हैं, “हां, ये सच है, ये मेरे लिए हर सुबह अच्छी चाय बनाता है।”