बॉलीवुड के मशहूर एक्टर परेश रावल भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद भी हैं। लेकिन अभिनेता को इस बात से आपत्ति नहीं है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के उनके साथी सरकार की आलोचना करते हैं। परेश ने कहा कि नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान और शाहरुख खान जैसे कलाकारों के पास कोई “छिपा हुआ एजेंडा” नहीं है।
परेश ने कहा, “अगर नसीर भाई, आमिर या शाहरुख कुछ कहते हैं, तो मैं उसे अनदेखा नहीं कर सकता। मैं उन्हें सुनूंगा क्योंकि उनके पास कोई छुपा मकसद नहीं है, कोई निजी स्वार्थ नहीं है। वे मेरे भले के लिए बोल रहे हैं। इसलिए मैं सुनूंगा, सोचूंगा और खुद को सुधारने की कोशिश करूंगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनका सम्मान करता हूं, वे मुझसे प्रेम करते हैं।”
The Lallantop को दिए इंटरव्यू में परेश रावल ने नसीरुद्दीन शाह की तारीफ करते हुए कहा कि वह उन कुछ लोगों में से हैं जो दिल की बात खुलकर कहते हैं। परेश ने कहा, “ऐसे लोगों के साथ आप खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं। वरना बार-बार पीछे मुड़कर देखना पड़ता है।”
पिछले साल The Lallantop को ही दिए एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक शाह ने भी परेश रावल के साथ अपने लंबे व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्ते पर बात की थी, भले ही उनके राजनीतिक विचार अलग हों। रत्ना ने कहा था, “हम ऐसे समय से आते हैं जब राजनीतिक विचार व्यक्तिगत रिश्तों के बीच नहीं आते थे। आजकल ऐसा होता है लेकिन जब तक मैं हूं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। और न ही अपने अपनों को ऐसा करने दूंगी।” रत्ना ने परेश के साथ ‘जाने तू या जाने ना’ और ‘हम दो हमारे दो’ जैसी फिल्मों में काम किया है।
‘बियर की तरह सिप-सिप करके पीया’, परेश रावल का दावा- अजय देवगन के पिता के कहने पर पीने लगे थे पेशाब
नसीरुद्दीन शाह बीजेपी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं, खासकर मुस्लिमों के साथ भेदभाव के मुद्दे पर। परेश रावल नसीरुद्दीन शाह को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने स्टेज प्ले ‘द स्लुथ’ में नसीरुद्दीन शाह को निर्देशित भी किया है। वहीं नसीरुद्दीन शाह ने अपने 2006 के निर्देशन ‘यूं होता तो क्या होता’ में परेश को लिया था। दोनों ने साथ में महेश भट्ट की 1993 की फिल्म ‘सर’ में भी काम किया था।