बॉलीवुड एक्टर परेश रावल किसी पहचान के मोहजात नहीं हैं। वह एक से बढ़कर एक फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। हर फिल्म में वह अलग किरदार में दिखते हैं और जिस भी रोल को निभाते हैं उसमें पूरी तरह से ढल जाते हैं। इंडस्ट्री में परेश रावल को करीब 40 साल से अधिक का समय हो चुका है। इन दिनों अपनी आगामी फिल्म ‘वेलकम 3’ और ‘हेरा फेरी 3’ की तैयारी कर रहे हैं।
फैंस भी परेश को एक बार फिर स्क्रीन पर कॉमेडी करते देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं अब हाल ही में दिए इंटरव्यू में परेश रावल ने बॉलीवुड में छिड़ी नेपोटिज्म की बहस पर खुलकर बात की है। यह पूछे जाने पर कि क्या एक्टर ने कभी बेटों को फिल्म प्रोजेक्ट्स दिलवाने में मदद की, तो परेश रावल ने इससे इनकार किया। उन्होंने कहा कि अगर उनके बेटे रणबीर कपूर और आलिया भट्ट जितने काबिल होते तो वो अपने सारे पैसे लुटा देते। अब एक्टर का यह बयान काफी चर्चा में बना हुआ है।
बता दें कि परेश रावल के दो बेटे हैं, अनिरुद्ध और आदित्य रावल। दोनों ही अब एक्टिंग की दुनिया में सक्रिय हैं। उनके बेटे आदित्य रावल ने 2020 में रिलीज हुई ‘बमफाड़’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। वहीं, अनिरुद्ध रावल ने साल 2016 में रिलीज हुई ‘सुल्तान’ से बॉलीवुड की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद 2017 में आई ‘टाइगर जिंदा है’ और 2023 में आई ‘स्कूप’ जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं।
अपने बेटों के लेकर क्या बोले परेश रावल
दरअसल परेश रावल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि “मेरे बेटे अपनी मेरे बेटे अपनी पसंद खुद बनाते हैं। जब तक वो गलतियां नहीं करेंगे तब तक वो सीखेंगे नहीं। अगर वो इस बारे में मुझसे आकर पूछेंगे तो मैं उन्हें सलाह दूंगा। अगर वो मुझसे नहीं पूछते तो मैं उन्हें कुछ नहीं बताता। उन्हें अपना रास्ता खुद ढूंढने दीजिए। मुझे इतना पता है कि वह बहुत मेहनती हैं। उन्होंने बॉलीवुड में एट्री करने के लिए मेरे नाम का इस्तेमाल नहीं किया।”
नेपोटिज्म की बहस पर कही यह बात
परेश रावल ने नेपोटिज्म के मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि “मुझे लगता है कि नेपोटिज्म बेकार है। मेरा बेटा अगर रणबीर कपूर या आलिया भट्ट की तरह टैलेंटेड होता तो मैं उसपे सब पैसा लगा देता। और फिर क्यों न लगाऊं? ये कोई गलत चीज तो नहीं है। डॉक्टर का बच्चा डॉक्टर नहीं बनेगा तो क्या नाई बनेगा? जिन लोगों ने भाई-भतीजावाद की बहस पर शोर मचाया, उनसे पूछा जाता है कि वे अपने पिता की विरासत को इतनी खुशी से क्यों स्वीकार करते हैं। इसके बदले इसे अपने पड़ोसी को दे दो।”