हिंदी सिनेमा के बदलने स्वरूप में अभिनेता पंकज त्रिपाठी का काफी योगदान रहा है। उन्होंने समकालीन मुद्दों पर आधारित फ़िल्मों से सिनेमा की एक नई परिभाषा गढ़ी है। वो हर किरदार में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं जिस कारण लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं। पंकज त्रिपाठी का टैलेंट पहचानने में भले ही फ़िल्म इंडस्ट्री को कुछ वक्त लगा हो लेकिन उनकी भाभी रीता तिवारी उन्हें स्कूल के दिनों में ही पहचान गईं थीं कि वो आगे जाकर कुछ बड़ा काम करेंगे।

पंकज त्रिपाठी ने इस बात का जिक्र ज़ाकिर खान को दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने बताया था, ‘मेरी भाभी हैं, रीता तिवारी नाम है, वो अक्सर ये बात बोलती हैं मुझे कि बाबू जान तानी, हम रउआ के नउवे क्लास में देखके जान गइल रहनी..वो 9 क्लास में ही जान गईं थीं कि ये तो कुछ हैं।’

पंकज त्रिपाठी को बॉलीवुड में सफलता बड़ी मुश्किल से मिली। उन्होंने ऋतिक रोशन और अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘लक्ष्य’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत तो की लेकिन इस फ़िल्म से उनका सीन ही एडिट कर दिया गया था। फ़िल्म में उन्होंने दो सीन का रोल किया था। पंकज त्रिपाठी ने बताया था कि फिल्म करने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू भी दे दिया था कि उनकी पहली फिल्म आ रही है जो ऋतिक रोशन के साथ है। लेकिन जब वो फिल्म देखने गए और उन्हें अपना सीन नहीं दिखा तब वो बेहद उदास हुए थे।

 

पंकज त्रिपाठी को फिल्म ‘रण’ और ‘ओमकारा’ में छोटे किरदार ऑफर हुए थे और वहीं से उनके बड़े परदे का सफर शुरू हुआ। पंकज त्रिपाठी के अंदर अभिनय का शौक कॉलेज के दिनों में जागा जब वो अपने एक दोस्त के साथ पहली बार नाटक देखने गए थे। उन्हें पसंद आया तो वो अक्सर नाटक देखने जाने लगे।

इसके बाद उन्होंने खुद नाटक में काम करना शुरू किया। साल 1995 से लेकर 2001 तक पटना में रहते हुए उन्होंने नाटकों में अभिनय किया। इसी दौरान उन्होंने पटना के मौर्या होटल में किचन सुपरवाइजर की नौकरी भी की। नौकरी के साथ-साथ वो नाटक भी करते थे और इसी कारण उन्हें कई बार डांट भी पड़ती थी। पंकज त्रिपाठी साल 2001 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा चले गए थे।