Nutan Birthday: हिंदी सिनेमा की नायाब अदाकारा नूतन ने अपने एक्टिंग करियर में काफी स्ट्रगल किया। ‘बंदिनी’, ‘सीमा’, ‘सुजाता’, ‘मिलन’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी फिल्मों में नूतन का काम बहुत पसंद किया गया था। उन्हें पांच फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिले थे। बावजूद इसके नूतन के पास ऐसा कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं था, जिस तरह मीना कुमारी को ‘पाकीजा’ और मधुबाला को ‘मुगल-ए-आजम’ मिली और ये फिल्में उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुईं।
नूतन फिल्मजगत में ‘अच्छी अभिनेत्री’ और ‘सशक्त अभिनेत्री’ बन कर रहीं। साल 1951 में नूतन के पास एक सुनहरा मौका आया था। यह मौका था ‘मुगल ए आजम’ (Mughal E Azam ) में अनारकली बनने का। इस किरदार को लेकर उस वक्त हर कोई मान रहा था कि जो भी ‘अनारकली’ को निभाएगा उसकी किस्मत बदल जाएगी। उस वक्त तक फिल्म का नाम भी ‘अनारकली’ ही रखा गया था। अनारकली के रोल के लिए के आसिफ ने नूतन को चुना था।
साल 1944 में आसिफ ने ये फिल्म शुरू की थी। पहले फिल्म नरगिस को लेकर बन रही थी। मगर उसमें पैसा लगाने वाले शिराज अली विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए, तो फिल्म बंद हो गई। इसके बाद साल 1951 में इस फिल्म को दोबारा शुरू किया गया। कारोबारी शापूरजी पालोन जी इस फिल्म पर पैसा लगाने के लिए तैयार हुए। ऐसे में 15 साल की नूतन को अनारकली किरदार के लिए प्रस्ताव दिया गया।
नूतन उस वक्त काफी छोटी थीं। वहीं उनके हाथ में एक ऐतिहासिक किरदार था। वह हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं। ऐसे में नूतन को भूमिका काफी कठिन लगी। तो ऐसे में उन्होंने आसिफ से कहा कि अनारकली तो आप नरगिस को ही बनाइए। लेकिन नरगिस ने भी इस किरदार के लिए मना कर दिया। उनके इनकार के बाद मधुबाला को लेकर फिल्म ‘मुगले आजम’ नाम से बनी। इस तरह से नूतन ‘मुगले आजम’की अनारकली बनते-बनते रह गईं।

