किसान आंदोलन पर सियासत का दौर जारी है। टीवी डिबेट में भी इस मामले पर तीखी बहस और नोंकझोंक देखने को मिल रही है। न्यूज 24 चैनल पर इसी तरह की एक डिबेट में जब एंकर मानक गुप्ता ने किसान नेता राकेश टिकैत से 26 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर सवाल किया तो वे बिफर पड़े। टिकैत ने गुस्से में कहा कि कानून पर सवाल करो ना आप? क्या दंगे-दंगे… हम दंगे भड़काने वाले लगते हैं क्या? एंकर ने एक और सवाल किया और पूछा कि क्या चक्का जाम में तो वैसी हिंसा नहीं होगी? इस पर टिकैत और बिफर पड़े।

राकेश टिकैत ने कहा- क्या हम आपको हिंसा करने वाले लोग लगते हैं? ये शब्द कहां से आया भाई, क्यों इसका इस्तेमाल करते हो? आप बिल पर बात करो…गन्ना भुगतान पर बात करो। ये कौन सी लैंग्वेज आप लोगों ने पकड़ रखी है। हिंसा शब्द कहां से आया? कौन हिंसा करेगा? जो हिंसा करेगा, उसका इलाज करेंगे हम।

टिकैत आगे कहते हैं, ’72 दिनों से शर्म नहीं आई किसी को…किसान यहां बैठा है लेकिन किसी को शर्म नहीं आई। ये रोटी तिजोरी की वस्तु न बने, ये आंदोलन उसी के लिए है।आपके ऊपर भी कलम और कैमरे पर बंदूक का पहरा है। अगला टारगेट आप लोग भी होंगे… इसमें साथ दो आप सब लोग। संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, आतंकी छोड़ दिए गए ये कौन से संविधान में था? जिसने हिंसा करी, भुगतेगा वो…। हिंसा हिंसा, ये किस तरह की लैंग्वेज है?

राकेश टिकैत एंकर से कहते हैं कि आप कानून पर बात कर ही नहीं रहे हो। आप ये पूछो कि बाजरा क्या रेट बिका? और आटा आपने क्या रेट खरीदा? इस पर बहस करो न…। देश में दूसरे ईशू भी हैं, आप इसे कहीं का कहीं लेकर जा रहे हैं।

इस पर मानक गुप्ता ने कहा, देखिये टिकैत साहब मैं कानून पर ही हूं। मेरा एक सवाल आप सुन लीजिए। कृषि मंत्री ने साफ साफ कहा कि 2 महीने हो गए और किसान यूनियन मुझे यह नहीं बता पाए कि कानून में दिक्कत क्या है इनको? वो तो कानून वापसी पर अड़े हुए हैं। इस पर राकेश टिकैत ने जवाब दिया- हम 2 अक्टूबर तक बता देंगे। ठीक है? उन्होंने आगे कहा, गुंडे आगे रहेंगे और पुलिस पीछे रहेगी तो ये तो कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे हम।