कई बार विदेशी कहानी को थोड़ा बहुत नया मसाला मिलाकार आधी देसी, आधी विदेशी फिल्म बनाने का रिवाज हमेशा से हमारे यहां रहा हैं। लेकिन इस तरह का प्रयास हमेशा असफलता की तरफ ही ले जाता है। ‘नीयत’ फिल्म के साथ भी यही हुआ है। अगाथा क्रिस्टी के ‘डेथ ऑन द नाइल’ में कुछ इधर उधर की चीजें जोड़कर और घटाकर निर्देशक अनु मेनन ने ये फिल्म बनाई है। धरती विदेशी है। यानी स्कॉटलैंड।

जिस धनवान की हत्या होती है वो भारतीय यानी देसी है। नाम है आशीष कपूर उर्फ एके (राम कपूर)। एके अपने आलाशान मकान पर एक दावत देता है और वहीं उसकी हत्या हो जाती है। `हत्यारा कौन?’ का खेल शुरू होता है। कई लोगों पर शक है। मित्रों से लेकर बेटे और उसकी प्रेमिका तक। ऐसे में सीबीआई अधिकारी मीरा राव ( विद्या बालन) को इस नाटकीय हत्या को सुलझाने की चुनौती मिलती है। क्या वो ऐसा कर सकेगी?

बिल्कुल कर सकेगी क्योंकि इसी के लिए तो ये फिल्म बनाई गई है। विद्या बालन के अपने नखरे और अंदाज इस फिल्म मे दिखे हैं। स्मार्ट भी लगी हैं। पर इसके बावजूद फिल्म घिसटती हुई आगे बढ़ती है। बाहर की यानी विदेशी फिल्मों या कहानियों पर हिंदी में फिल्म बनाने में कोई बुराई नहीं है बशर्ते निर्देशक में पर्याप्त कल्पनाशीलता हो। वही निर्देशक अनु मेनन में नहीं है।

कई जगहों पर एक सीन से दूसरे तक पहुंचने में कोई तारतम्य नहीं है। चूंकि विद्या बालन के अलावा सारे कलाकार सामान्य हैं यानी उनकी स्टार महत्त्व कम या बिल्कुल नहीं है इसलिए भी फिल्म में जान नहीं आ पाई है। इतना जरूर है कि कहनी का केंद्र स्काटलेंड है इसलिए माहौल प्रभावित करता है। फिल्म का संगीत औसत है।