प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट विस्तार में कई नए चेहरों को जगह दी तो कई दिग्गज मंत्रियों का पत्ता कट गया। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी शामिल हैं। उनकी जगह मनसुख मांडविया को नया स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है। डॉ. हर्षवर्धन के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर लोग तमाम तरह की टिप्पणी कर रहे हैं और उनके इस्तीफे के लिए कोरोना काल में सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी हर्षवर्धन पर निशाना साधा है।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, मैंने मई में ही इसी फेसबुक पर लिखा था कि डॉ. हर्षवर्धन को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्हें इस्तीफा देते-देते 2 महीने लग गए। इस इस्तीफे से इंसाफ नहीं मिला है बल्कि उस सवाल की शुरुआत हुई है जिस पर पर्दा डाला जा रहा है कि देश में कोरोना को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई थी।
रवीश ने आगे लिखा इसकी जवाबदेही जाती तो प्रधानमंत्री तक है लेकिन लगा कि कम से कम स्वास्थ्य मंत्री ही इस्तीफ़ा दें। काश इस्तीफ़ा देने के बाद डॉ. हर्षवर्धन उस दौर के सच को बाहर ला दें। अपने आप को सच बोलने में झोंक दें और सब बता दें। वो ऐसा नहीं करेंगे। ED के लोग छापे मारने लगेंगे।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा लेकिन आप लोग भी इस गफ़लत में न रहें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरी पोस्ट पढ़ कर डॉ. हर्षवर्धन का इस्तीफ़ा मांग लिया। प्रधानमंत्री को अप्रैल और मई के नरसंहार से निकलने का रास्ता चाहिए। उसी रास्ते की खोज में यह विस्तार हुआ है। एक तरह से स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफ़ा साबित करता है कि विपक्ष से लेकर हम जैसों के उठाए सवाल बिल्कुल सही थे।
अगर वो सवाल सही थे तो यह कितना भयावह है कि इतने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस इस्तीफ़े से यह स्वीकार कर लिया है कि सरकार उस वक़्त झूठ बोल रही थी।
आपको बता दें कि रवीश कुमार ने रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे पर भी तंज कसा था और कहा था कि ट्विटर से लड़ने के लिए रविशंकर प्रसाद को तो इनाम मिलना चाहिए ताकि अमेरिका तक को संदेश जाता कि मोदी के मंत्री किसी से डरते नहीं हैं। उन्होंने कैबिनेट विस्तार को प्रधानमंत्री राज्यमंत्री विस्तार योजना करार दिया था।