Nawazuddin Siddiqui : बॉलीवुड से लेकर आम जन के बीच काले गोरे का भेद माना जाता रहा है। हालांकि, अब सोसाइटी और सोच में परिवर्तन आ रहा है। इसको लेकर बॉलीवुड के मंझे हुए एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपनी आपबीती बताते हैं कि रूप रंग औऱ पर्सनालिटी को लेकर उन्हें काफी कुछ सहना पड़ा है। न सिर्फ इंडस्ट्री में बल्की अपने घर-मोहल्ले में भी। नवाजुद्दीन बताते हैं कि शुरू से ही लोगों ने उन्हें खूब अंडरएस्टिमेट किया है।
नीलेश मिश्रा के वेब चैट शो में नवाजुद्दीन सिद्दीकी बताते हैं- ‘मुझे याद दिलाया जाता था बार-बार मेरे रंग को लेकर। हमारी जो रिश्तेदारी है उसमें सब ऊंचे गोरे चिट्टे लोग हैं। हमारे परिवार में ही सब छोटे हैं। हम भी ऐसे ही हुए। हमारे लोगों ने हमें एक्सेप्ट ही नहीं किया। शादी को लेकर बोलते थे कि हम नहीं देंगे अपनी लड़ी तुम्हें। तो मुझे सदमा सा लग गया।’
नवाज ने आगे बताया-‘जब शहरों से रिश्तेदार आते थे हमारे अपनी लड़कियों को लेकर तो हम भी सामने खड़े हो जाते थे। तो वो लड़कियां कहती थीं तेरे तो सिर्फ दांत दिखाई दे रहे हैं। हंसती थीं मुझपर। तो मुझे बहुत बुरा लगता था- मैं बोलता था अरे यार इसको तो मैं चाहता था ये क्या बोल गई।’
इसके बाद नवाजुद्दीन बताते हैं- ‘बम्बई आकर बहुत सारे लोगों ने मुझे अंडरएस्टिमेट किया। खूब थपेड़े खाए- मेरे साथ ज्यादा जो दिक्कत होती थी वह यही होती थी मेरी पर्सनालिटी को बहुत अंडरएस्टिमेट किया जाता था। शुरू से ही, मेरे बचपन से। जब ऑफिस जाते थे किसी के, तो वो सिर से लेकर पांव तक देखता था, पूछता था- क्या है? तो मैं कहता था कि भाई एक्टर हैं। तो वो कहते थे आगे से- दिखने से तो लगते नहीं हो एक्टर हो। मैंने कहा-कुछ करके दिखाएं..? मैं कहता था कि आप कुछ दे दो या फिर एक्ट करने के लिए या फिर मैं अपना कुछ सुनाता हूं। बाकी आप देख लेना पर्सनालिटी के बारे में। तो वह कहते थे नहीं हीरो मटीरियल नहीं हो। मैं कहता था कि बता दो उस पर भी काम कर लेंगे कि क्या होता है हीरो मेटीरियल। ये मेरे साथ काफी वक्त तक चला मेरे साथ।’
नवाज बताते हैं- ‘मैं पतला दुबला सा था, कलर भी कुछ खास नहीं है। बोल देते थे लोग- अरे शक्ल वगैरा तो देख लेते यार। गांव में भी मेरे साथ ये होता था। कस्बे में मैं जब कहता था कि मैंने डिसाइड कर लिया है मैं एक्टर बनूंगा तो सब मेरा मजाक उड़ाते थे। तो कहते थे लोग -भाई जरा देख तो लेते खुद को। ऐसे में मुझे कॉम्प्लेक्स होने लगता था। फेयरएंड लवली लगाने लगा था दुकानों से। गोरा होना चाहता था।’