प्रसिद्ध अभिनेता नसीरुद्दीन शाह इन दिनों हिंदुस्तानी मुसलमानों पर दिए गए अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। शाह ने अब कहा है कि हिंदुस्तान के हालात बदले हैं जिसका असर बॉलीवुड पर भी पड़ा है। बड़े बड़े फिल्ममेकर्स और एक्टर्स से कहा जाता है कि वो सत्ता की प्रशंसा में फिल्में बनाएं। उन्होंने बॉलीवुड के तीनों खान- आमिर खान, शाहरुख खान और सलमान खान को लेकर भी बात की है।
उनका कहना है कि बॉलीवुड में एक्टर्स को भले ही उनके धार्मिक पहचान के कारण भेदभाव नहीं सहना पड़ता लेकिन अपनी बात रखने के लिए उन्हें प्रताड़ित जरूर किया जाता है। एनडीटीवी से बातचीत ने नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि बॉलीवुड के खान इसलिए चुप रहते हैं क्योंकि बोलने पर उन्हें जो प्रताड़ना झेलनी होगी, उसकी उन्हें चिंता है।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा, ‘वो (बॉलीवुड के खान) कुछ कहने से इसलिए बचते हैं क्योंकि अगर उन्होंने कुछ कहा तो उन्हें प्रताड़ना का शिकार होना पड़ेगा। उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है। ये उत्पीड़न केवल वित्तीय स्तर पर या कुछ लोगों के समर्थन खोने भर का नहीं होगा बल्कि इससे उनके पूरे एस्टेब्लिशमेंट का उत्पीड़न होगा।’
जावेद अख्तर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो भी अपनी आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे प्रताड़ित किया जाता है। वो बोले, ‘सिर्फ जावेद साहब और मैं ही नहीं बल्कि जो भी दक्षिणपंथी मानसिकता के खिलाफ बोलता है, प्रताड़ित होता है और यह दोनों तरफ से बढ़ता जा रहा है।’
नसीरुद्दीन शाह ने द वायर को दिए एक हालिया इंटरव्यू में भी इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा था कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है जितना शाहरुख खान या आमिर खान के पास होगा। मैं समझ सकता हूं कि क्योंकि ऐसा नहीं कि सिर्फ उनका समर्थन कम हो जाएगा या एकाध करोड़ जो मिलना था वो नहीं मिलेगा। बल्कि उनको जिस लेवल पर घेरा जाएगा, जिस तरह से विक्टिमाइज किया जाएगा, वहां तक तो मैं सोच भी नहीं सकता।’
नसीर ने आगे कहा था कि उनको (खान को) अपने ऊपर इतना भरोसा तो होना चाहिए कि उनके बोल देने से इतना असर तो नहीं होगा कि जिंदगी भर जो नाम कमाया, वो सब खत्म हो जाएगा।
वहीं नसीरुद्दीन शाह ने कहा है कि आजकल सरकार फिल्ममेकर और एक्टर्स से अपने समर्थन में फिल्में बनवा रही है। वो बोले, ‘उन्हें सरकार के द्वारा प्रो गवर्मेंट फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हमारे प्रिय नेता के प्रयासों की सराहना करते हुए फिल्में बनाने को कहा जा रहा है। फिल्मों के लिए पैसे भी दिए जा रहे हैं। अगर वो प्रोपेगेंडा वाली फिल्में बनाते हैं तो उन्हें क्लीन चिट देने का वादा भी किया जाता है।’