दिवंगत अभिनेत्री नरगिस, जिन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बेहतरीन फिल्म स्टार्स में से एक माना जाता है, उनका 1981 में निधन हो गया था। उनका निधन लंबे समय तक कैंसर से जूझने के बाद हुआ था, ये वो वक्त था जब उनके बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रॉकी’ आने वाली थी। कई सालों बाद नरगिस की बेटी पूर्व राजनीतिज्ञ प्रिया दत्त के बारे में बात की और उस वक्त से जुड़ी कई अहम बातें बताईं। एक इंटरव्यू में, उन्होंने बताया कि वो दौर परिवार के लिए बहुत मुश्किल था। उन्होंने बताया कि नरगिस की बीमारी के दौरान सुनील दत्त और बेटे संजय दत्त को बहुत तकलीफ हुई, खासकर जब उनका इलाज अमेरिका में चल रहा था।
विक्की लालवानी के साथ बातचीत में प्रिया दत्त ने बताया कि नरगिस की एक हफ्ते में 7 सर्जरी हुई थी और डॉक्टर्स ने सुनील दत्त को ये कह दिया था कि शायद नरगिस की जान भी जा सकती है। मगर वो हिम्मत नहीं हारीं और अपना इलाज करवा कर भारत लौटीं। प्रिया ने बताया कि नरगिस इस बात को जानती थीं कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है। संजय दत्त की फिल्म की रिलीज से 4 दिन पहले उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था, मगर उन्होंने अपने बेटे से कहा था कि जब उनकी फिल्म का प्रीमियर होगा तो वो वहां मौजूद होंगी। इसलिए प्रीमियर के दौरान सुनील दत्त के बगल में उनके लिए एक कुर्सी खाली रखी गई थी।
प्रिया ने बताया कि नरगिस की इच्छा थी कि उन्हें उनकी मां की कब्र के बगल में दफनाया जाए। अपने आखिरी दिनों में उन्होंने ये इच्छा रखी थी। उस वक्त के बारे में बात करते हुए प्रिया ने कहा, “संजय के लिए ये बहुत मुश्किल था कि वो उनकी पहली फिल्म देखने और उनके करियर को उड़ान भरते देखने के लिए वहां नहीं थी। ‘रॉकी’ का प्रीमियर हुआ और हमने पापा के बगल में एक सीट खाली रखी, जो मां के लिए थी।”
अपनी मां के अंतिम संस्कार के बारे में बात करते हुए प्रिया ने कहा, “बेशक, मेरे पिता के पास हर जगह से पुजारी थे जो उनके लिए प्रार्थना करने आए थे। उन्होंने बताया कि कई लोगों ने मुझे बताया कि उनकी शादी एक हिंदू से हुई थी, इसलिए उनका अंतिम संस्कार हिंदू तरीके से होना चाहिए।’ लेकिन उन्होंने कहा नहीं, उनकी इच्छा थी कि उन्हें दफनाया जाए और हम उनकी इच्छा के अनुसार सब कुछ करेंगे।”
नरगिस चाहती थीं ऐसे हो अंतिम संस्कार
प्रिया ने आगे कहा, “मेरी मां चाहती थीं कि उन्हें उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में दफनाया जाए। फिर, हम अपने पिता के साथ मिट्टी लेकर हरिद्वार भी गए। जब हम उनका शव घर लाए, तो वहां बहुत सारी प्रेस थी, और एक शख्स ने मुझसे पूछा कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं। मैंने जरूर कुछ कहा होगा, क्योंकि पापा हमें एक कमरे में ले गए और कहा कि अगर हम रोना और चीखना चाहते हैं, तो हमें उनके साथ ऐसा करना चाहिए, लेकिन बाहर, हमें अपना संयम बनाए रखना होगा।”
प्रिया ने बताया कि नरगिस की मौत के बाद उनके पिता टूट चुके थे और उन्हें थोड़ा बहुत काम करने में भी दिक्कत होती थी। वो अक्सर आधी रात को उठकर अकेले ही उनकी कब्र के पास बैठ जाते थे। लेकिन एक बार जब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपने बच्चों और खास तौर पर संजय के लिए वहां रहना होगा, जो नशे की लत में फंस गया था, तो वो रातों-रात अपने दुख से बाहर आ गए।