अपनी बेहतरीन एक्टिंग से खास पहचान बनाने वाले अभिनेता नाना पाटेकर ने अपनी जिन्दगी में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। एक समय था जब नाना पाटेकर 35 रुपये कमाने के लिए 8-8 किलोमीटर पैदल चलते थे और फिल्मों का पोस्टर पेंट करने का काम करते थे। बाद में स्मिता पाटिल के कहने पर उन्होंने बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाई और असाधारण एक्टिंग की बदौलत स्टार भी बन गये।
साल 1989 में आई उनकी फिल्म ‘परिंदा’ की खूब चर्चा हुई थी। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर हादसे का शिकार हो गए थे और कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहे थे। 2 महीने तक अस्पताल में रहे, एक साल तक नहीं कर पाए थे फिल्म: ‘परिंदा’ में एक सीन की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर बुरी तरह जल गए थे।
उनका दोनों हाथ बहुत बुरी तरह झुलस गया था। इंडिया टीवी को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद इस घटना के बारे में बताया था। बकौल नाना, डायरेक्टर ने उन्हें समझाया था कि वो एक झूले पर रहेंगे और उनके चारों ओर आग लगी होगी। जमीन पर शराब की ढेर सारी बोतलों का टुकड़ा पड़ा रहेगा। और जैसे ही झूला टूटेगा वो वहां से कूदकर भाग जाएंगे। हालांकि ये सीन फिल्माने के दौरान सबकुछ प्लानिंग के मुताबिक नहीं हुआ।
आग के बीच का झूला जैसे ही टूटा नाना पाटेकर कूदकर भागने की जगह गलती से नीचे पड़े कांच के टुकड़े पर गिर पड़े और आग की चपेट में आ गए। उनके दोनों हाथ बुरी तरह जल गए। इसी बीच डायरेक्टर ने उनसे पूछा कि नाना आर यू ओके? आग से घिरे नाना इस सवाल से बेहद नाराज हो गए थे और चीखकर जवाब दिया था, “नो आई एम नॉट ओके”। फिर नाना पाटेकर को किसी तरह आग से बाहर निकाला गया। इसके बाद नाना दो महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे और लगभग एक साल तक किसी भी फिल्म में काम नहीं कर पाए।
इसी फिल्म के लिए मिला बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड: आपको बता दें कि यह फिल्म हॉलीवुड की फिल्म ‘ऑन द वॉटरफ्रंट’ से प्रेरित होकर बनाई गई थी। पहले इस मूवी का नाम ‘कबूतर खाना रखा’ गया था। बाद में बदलकर परिंदा कर दिया गया था। कम बजट की इस मूवी को शुरुआत में कई एक्टरों ने करने से मना कर दिया था। फिल्म में लीड रोल में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित थे और नाना पाटेकर ने बतौर सपोर्टिंग एक्टर इसमें काम किया था। बाद में इसी फिल्म के लिए नाना पाटेकर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था।