नाभाई भट्ट 1940 के दशक में साउंड रिकॉर्डिस्ट से फिल्म निर्माता-निर्देशक बने थे। उन्होंने सौ से ज्यादा स्टंट और धार्मिक फिल्मों का निर्माण किया और खूब नाम कमाया। नानाभाई भट्ट ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी थी हेमलता, जिनके पुत्र हैं फिल्म लेखक रॉबिन भट्ट। नानाभाई भट्ट की दूसरी पत्नी (बिना शादी के) उनकी फिल्मों की हीरोइन शीरीन मोहम्मद अली थीं। शीरीन-नानाभाई की शादी को पहली पत्नी हेमलता के परिवार ने मान्यता नहीं दी इसलिए नानाभाई भट्ट के दो परिवार, दो घर हो गए। शीरीन-नानाभाई से महेश भट्ट और मुकेश पैदा हुए। चूंकि नानाभाई ने महेश भट्ट की मां शीरीन से विधिवत शादी नहीं की थी, इसलिए महेश ने खुद को ‘अनैतिक संतान’ (बास्टर्ड) बताया। पारिवारिक टकराव के कारण नानाभाई के पास शीरीन और उनके बच्चों के लिए समय नहीं था तो महेश भट्ट न पिता के साथ आम बच्चों जैसे घूमे-फिरे, न उनकी गोद में खेले। उन्हें इसका मलाल रहा। उससे ज्यादा मलाल मां को सामाजिक स्वीकृति न मिलने का हुआ। महेश भट्ट में कितनी भी तल्खी रही हो, उन्होंने पिता नानाभाई-शीरीन की मोहब्बत का हमेशा सम्मान किया। इसीलिए जब महेश-मुकेश ने 1987 में अपनी कंपनी विशेष फिल्म्स (मुकेश के बेटे विशेष के नाम पर) के तहत पहली फिल्म ‘कब्जा’ (1988) बनाई, तो उसके निर्माता के रूप में नानाभाई भट्ट का नाम दिया गया था।
नानाभाई के परिवार एक न हो पाए हों, मगर बाद की पीढ़ी ने एकजुट होकर काम करने की हमेशा कोशिशें कीं। विशेष फिल्म्स में नानाभाई की पहली पत्नी के बेटे रॉबिन भट्ट को हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिशें की। महेश भट्ट ने ‘साथी’, ‘सड़क’, ‘जुनून’ का लेखन रॉबिन भट्ट से करवाया। उन्होंने बाहर के निर्माताओं की ‘आशिकी’, ‘गुमराह’, ‘अंगारे’, ‘कारतूस’ के लेखन के लिए भी रॉबिन भट्ट को मौका दिया। रॉबिन भट्ट ‘चाहत’ से निर्माता बने तो इसका निर्देशन भी महेश भट्ट ने ही किया।
रिश्तों को बेहतर बनाए रखने के लिए महेश भट्ट ने अपनी बहन हीना सूरी के बेटे मोहित सूरी को ‘जहर’ (2005) से निर्देशन का मौका दिया। महेश भट्ट की मां शीरीन की बहन मेहरबानो हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री थीं। उन्होंने पूर्णिमा के नाम से फिल्मों में काम किया। पूर्णिमा इमरान हाशमी की दादी थीं। महेश भट्ट ने इमरान हाशमी को आगे बढ़ाने और कुनबे को एक रखने की पूरी कोशिशें कीं।
पिता नानाभाई की तरह महेश भट्ट ने भी दो शादियां की। पहली ब्रिटिश मूल की लोरेन ब्राइट यानी किरण से और दूसरी सोनी राजदान से। किरण से महेश भट्ट को पूजा और राहुल दो संतानें हुई। महेश ने पूजा को ‘डैडी’ में मौका दिया। सोनी राजदान-महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट को लेकर महेश भट्ट ने ‘सड़क 2’ की घोषणा की है, जिसका निर्माण इन दिनों हो रहा है। इस तरह जो नानाभाई अपने दो परिवारों को एक नहीं कर पाए थे, वह काम करने की कोशिश उनकी दूसरी पीढ़ी आज भी कर रही है। यही रिश्तों का सच्चा ‘अर्थ’ और ‘सारांश’ है।
नानाभाई भट्टः (12 जून, 1915-24 अप्रैल, 1999)

