इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवादास्पद फिल्म ‘मुहल्ला अस्सी’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने के आदेश देने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार तथा सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति अरुण टण्डन तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की याचिका पर दिया है। याचिका में फिल्म को प्रदर्शन का प्रमाणन नहीं दिये जाने तथा यह सुनिश्चित करने के आदेश देने का आग्रह किया गया है कि सेंसर बोर्ड से जरूरी प्रमाणपत्र ना मिलने तक फिल्म का ट्रेलर किसी भी हालत में सार्वजनिक तथा सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित ना हो।
अदालत ने केंद्र तथा सेंसर बोर्ड के वकीलों को जवाब दाखिल करने के लिये निर्देश प्राप्त करने के आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 जून नियत की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म के ट्रेलर को देखने से लगता है कि निर्माता, निर्देशक तथा कलाकारों ने निहायत गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम किया है। फिल्म में धार्मिक नगरी काशी की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तथा भगवान शिव, हिन्दू संतों तथा हिन्दू महिलाओं की छवि को खराब किया गया है।
याची के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि ‘मुहल्ला अस्सी’ फिल्म के ट्रेलर में भगवान शिव को अपशब्दों भरी भाषा बोलते हुए दिखाया गया है जो अस्वीकार्य है। किसी भी पुराण में भगवान शिव को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते हुए चित्रित नहीं किया गया है।
याचिका में फिल्म के निर्देशक चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, निर्माता विनय तिवारी तथा अभिनेता सनी देओल एवं अन्य कलाकारों को भी पक्षकार बनाया गया है।