लंबे अरसे से दर्शकों को रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मर्दानी 2’ का इंतजार है। अब जाकर फिल्म पर्दे पर रिलीज हुई है। रानी मुखर्जी ने अपने करियर की पहली फिल्म की थी ‘राजा की आएगी बारात’। इस फिल्म में वह एक रेप विक्टम का किरदार निभाती नजर आई थीं। इसके बाद रानी ने एक और फिल्म की थी मेहंदी इसमें भी रानी एक बहुत जरूरी सोशल मैसेज देती नजर आई थीं। रानी हमेशा से ही अपनी फिल्मों के जरिए समाज को एक संदेश देना चाहती रही हैं। इस बार रानी मुखर्जी अपनी फिल्म मर्दानी के साथ आ रही हैं। इस फिल्म को लेकर रानी मुखर्जी ने कई तरह की दिलचस्प बातें शेयर कीं। फिल्म में वह एक बार फिर एक तेज-तर्रार पुलिस अफसर का किरदार निभा रही हैं। पेश है रानी से बातचीत के प्रमुख अंश।
सवाल : 2014 में ‘मर्दानी’ आई थी। अब ‘मर्दानी 2’ आ रही है। दोनों में क्या फर्क है। ‘मर्दानी 2’ में आपको क्या मुश्किल लगा?
’ ‘मर्दानी’ का सीक्वल बनना तो तय था लेकिन इसमें देरी कहानी के कारण हुई, जो मुझे पसंद ही नहीं आ रही थी। ‘मर्दानी’ में मैं पुलिस इंस्पेक्टर बनी थी जो खुफिया विभाग से संपर्क रखती थी। खुफिया विभाग में सभी काम काफी खुफिया तरीके से किए जाते हैं जिससे मुझे पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी पहनने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन ‘मर्दानी 2’ में मैं एसपी के किरदार में हूं इसलिए हर शॉट में वर्दी पहनी पड़ी, यह मेरे लिए बहुत मुश्किल था। ‘मर्दानी 2’ के लिए मुझे अंडर वाटर तैराकी भी सीखनी पड़ी।
सवाल : बॉलीवुड में आपकी शुरुआत ग्लैमरस और रोमांटिक फिल्मों से हुई थी। लेकिन आपकी पिछली फिल्में ‘हिचकी’ और ‘मर्दानी’ बहुत अलग थी। ऐसी फिल्मों को करने का कोई खास कारण?
’मैंने अपने करिअर की शुरुआत ‘राजा की आएगी बारात’ फिल्म से की थी, जिसमें मैं बलात्कार का शिकार होती हूं और बाद में बदला लेती हूं। इसके बाद मैंने एक फिल्म ‘मेहंदी’ भी की थी, जिसमें भी सामाजिक संदेश था। कहने का मतलब ये है कि मेरी कोशिश रहती है कि मैं ऐसी फिल्में करूं जिसमें सामाजिक बुराई को दिखाया गया हो, महिलाओं की बात हो। ‘गुलाम’, ‘वीरजारा’, ‘कुछ कुछ होता है’, ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी फिल्में कमर्शियल पाइंट आॅफ व्यू से करिअर के लिए जरूरी थीं। ‘हिचकी’ में मैंने हकलाने से पीड़ित लोगों को प्रोत्साहित करने के का काम किया था। ताकि ऐसे लोगों को इस बीमारी से लड़ने की ताकत और सामना करने की हिम्मत मिले। मैं वही फिल्में करना पसंद करती हूं जिसकी कहानी दमदार हो।
सवाल : आपको इस फिल्म इंडस्ट्री में 23 साल हो गएं। आपको यहां मनचाहा मुकाम भी मिला और दर्शकों का ढेर सारा प्यार भी। ऐसे में आपकी नजर में अभिनय करना क्या है?
’मेरी नजर में अभिनय का मतलब है रिएक्ट करना। अच्छी अदाकारी वही है जो दिल से निकले, तभी तो लोगों के दिलों तक पहुंचेगी। मैंने अपने करिअर में हमेशा यही कोशिश की है कि मैं दिल से एक्टिंग करूं। जब अदाकारी नेचुरल होती है तो वह आपका स्टाइल बन जाता है। मेरी कोशिश रहती है कि मेरी अदाकारी सहज लगे।
सवाल : आपने जिससे प्यार किया उससे शादी की। आपकी एक प्यारी-सी बेटी भी है। आप तो बहुत खुश होंगी…
’हां, बहुत ज्यादा खुश। मैं अपनी बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करती हूं , वो मेरी जान है। आदित्य से शादी करके तो मैं बहुत खुश हूं। मैंने अपना हर रिश्ता बहुत ईमानदारी से निभाया है फिर चाहे वो प्यार का हो या फिर दोस्ती का। शायद यही वजह है कि मुझे हमेशा प्यार के बदले प्यार ही मिला है।
सवाल : आपके तो कई फैन हैं, लेकिन इस बॉलीवुड में ऐसा कौन सा अभिनेता है जिसकी आप फैन हैं और उसके साथ काम करने की इच्छा रखती हों?
’बॉलीवुड में मेरे आॅल टाइम फेवरेट अमिताभ बच्चन जी है, जिनके साथ मैं हमेशा काम करने की इच्छा रखती हूं। हालांकि उनके साथ मैंने ‘ब्लैक’, ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘बंटी और बबली’ जैसी फिल्मों में काम किया है। इसके बावजूद दिल चाहता है कि उनके साथ फिल्में करती ही रहूं। अमिताभ बच्चन के अलावा मैं ऋतिक रोशन की भी बड़ी फैन हूं। मेरी नजर में वह सबसे ज्यादा गुड लुकिंग और हैडसम हीरो है। ऋतिक टैलेंट भी बहुत हैं।
सवाल : अपने करिअर के इन 23 सालों में आप फिल्मजगत में क्या बदलाव देखती हैं…
’बदलाव तो बहुत आया है। आज फिल्म निर्माण में कई सारी सुविधाएं हैं जिसके बाद अभिनय करना, और आसान हो गया है। हमारे समय में काफी मुश्किलें थी। इतनी सारी सुविधाएं नहीं था। वैसे आज के कलाकार पहले के अभिनेता-अभिनेत्रियों के मुकाबले ज्यादा चुस्त और तेज तर्रार हैं। वे हर तरह की प्रतियोगिता के लिए तैयार हैं जबकि पहले के हीरो और हीरोइन अपनी इमेज को लेकर काफी सोचते थे। उन्हें अपनी इमेज और परिवार वालों का काफी डर रहता था। आज के सारे कलाकार प्रोफेशनल होने के साथ अपने काम को लेकर बहुत गंभीर हैं। उनके लिए काम सिर्फ काम है और कुछ नहीं, जिसे वो पूरी तरह डूब कर करते हैं।
आरती सक्सेना