हाल ही में संसद भवन की नई इमारत की छत पर बने अशोक स्तंभ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। अशोक स्तंभ में दर्शायें गए शेरों को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी। आरोप लगाया था कि शेर को पिछले अशोक स्तंम्भ की तुलना में अधिक आक्रोशित दिखाया गया है। अब इस पर गीतकार  मनोज मुंतशिर की प्रतिक्रिया सामने आई है। 

मनोज मुंतशिर ने ट्विटर पर एक वीडियों शेयर किया है जिसमें वह किसी कार्यक्रम में बोल रहे हैं। कार्यक्रम का एक छोटा सा हिस्सा शेयर कर मनोज मुन्तशिर ने लिखा कि ‘इस बारे में आपका क्या कहना है?’ वीडियो में मनोज कह रहे हैं कि “पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं कि लोगों को आपत्ति है कि शेर दहाड़ क्यों रहा है?” 

इसके आगे मनोज मुंतशिर ने कहा कि “अरे गली-गली में कुत्ते भौंक रहे हैं। कुत्ते के भौकने पर किसी को आपत्ति नहीं है और शेर के दहाड़ने पर दिक्कत है, लानत है!” इससे पहले अनुपम खेर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। अनुपम खेर ने ट्वीट किया था कि “अरे भाई, शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही। आखिरकार स्वतंत्र भारत का शेर है। जरूरत पड़ी तो काट भी सकता है! जय हिंद!

मनोज मुंतशिर के ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रियाएं:

जया दीक्षित नाम की यूजर ने लिखा कि ‘अब जिसको जो आता है वो वही करेगा ना, हर किसी के पास न शेर का कलेजा होता है और न ही उसकी दहाड़। ये तो आप जैसे विरलों के ही बस की बात है।’ सुकुदेव साहू नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जब कुत्ता गलियों में भौंक सकता है तो शेर दहाड़ क्यों नहीं सकता। आखिरकार वो जंगल का राजा है भाई। दहाड़ने के लिए किसी की अनुमति लेगा क्या?’

यहां देखिए मनोज मुंतशिर का वीडियो:

पूनम तिवारी नाम की यूजर ने लिखा कि ‘मेरा कहना यही है कि क्या खूब कहा है आपने कि कुत्तों के भौंकने पर चुप्पी साधने वाले शेर की दहाड़ पर सवाल उठा रहे हैं। शेर की खासियत है उसकी आक्रामकता और उससे उसकी आक्रामकता ही छीन ली जाये ये तो गलत है।’ राकेश कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि ‘हम इसकी ट्रक भरके कड़ी निंदा करते है।’

बता दें कि संसद भवन की नई इमारत की छत पर अशोक स्तंभ बनाया गया है जिसमें दिखाए गये शेरों पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था, ‘सारनाथ स्थित अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदल देना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है।’ वहीं TMC महुआ मोइत्रा ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘सच कहा जाए, सत्यमेव जयते से संघीमेव जयते की भावना पूरी हुई है।’