बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) पहली बार फिल्म ‘सत्या’ में भीखू म्हात्रे की भूमिका निभाने के बाद सुर्खियों में आए थे। इसके बाद उन्हें भर-भर के काम, नाम और शोहरत मिली। लेकिन कहीं न कहीं वह इससे खुश नहीं थे। उस वक्त को याद कर मनोज बाजपेयी ने कई बातें बताई। एक्टर ने बताया कि लोगों को उनके काफी उम्मीदें हो गई थीं। उन्हें महसूस हुआ कि वह इतनी लोकप्रियता नहीं झेल पाएंगे।
हाल ही में उन्होंने बॉलीवुड हंगामा को इंटरव्यू दिया। अब फिल्मों के अलावा मनोज बाजपेयी ओटीटी की वेब सीरीज में आम आदमी की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। एक्टर से उनकी इस छवि के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,”जब मुझे कि पहचान मिलनी शुरू हुई, मेरे सामने विकल्प थे। मैंने शोहरत और पहचान के बाद कुछ और बनने की कोशिश की क्योंकि लोग लगातार मुझसे उम्मीद कर रहे थे।”
एक्टर ने बताया कि वह “क्लॉस्ट्रोफोबिक” महसूस करते हैं, क्योंकि जो वो नहीं हैं उन्हें वो बनना पड़ता है। उन्होंने कहा, “मैं क्लॉस्ट्रोफोबिक महसूस करने लगा। मुझे काफी घुटन महसूस होने लगी थी जहां मैं वो नहीं हो सकता था जो मैं हूं।” एक्टर ने कहा कि एक आम आदमी के रूप में पहचाने जाने में ही वह कंफर्टेबल हैं।
मनोज बाजपेयी ने कहा कि उन्होंने ऐसे किरदार चुने जहां जो आम आदमी से जोड़ सकें। ऐसे किरदार करना उनके लिए बहुत आरामदायक रहा। एक्टर ने कहा,”मैंने उन भूमिकाओं को नहीं चुना क्योंकि मैं उस तरीके से पहचान पाना चाहता था।”
आपको बता दें कि मनोज वाजपेयी की आने वाली फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म का ट्रेलर आ चुका है और इसे लेकर विवाद भी शुरू हो चुका है। फिल्म में वह वकील के किरदार में दिखाए गए हैं, जिसका नाम पीसी सोलंकी है। ये वकील एक गॉडमैन के खिलाफ केस लड़ता है। उस गॉडमैन के खिलाफ नाबालिग के बलात्कार का आरोप है। फिल्म का ट्रेलर देख लोगों को लग रहा है कि फिल्म आसाराम बापू पर आधारित है। क्योंकि आसाराम केस में भी वकील का नाम भी पीसी सोलंकी है।