मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) स्टारर फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ (Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai) को 23 मई को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 से रिलीज किया गया है। उनकी ये मूवी सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें अंधविश्वास और अंधभक्ति पर आधारित कहानी को दिखाया गया है। इसकी वजह से एक बच्ची को कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि फिल्म कैसी है?
कैसी है फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’?
हमारे देश में हर धर्म के गुरु हैं, जिन्हें लोग काफी प्राथमिकता देते हैं। यहां तक कि लोग उनके मर-मिटने तक के लिए तैयार होते हैं। फिर चाहे वो कानून की नजर में गलत ही क्यों ना हो? मगर लोग उसे सही ही मान लेते हैं। ऐसे ही फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की लेकर आए हैं, जो ना केवल मजबूत कहानी और सच्ची घटना से दुनिया को रूबरू कराती है बल्कि दमदार अभिनय और डायरेक्शन से भी सजी फिल्म है। 2 घंटे 12 मिनट की फिल्म आपको पलभर के लिए भी अपनी जगह हिलने नहीं देगी। आइए आपको 5 बिंदुओं में बताते हैं कि क्यों देखनी चाहिए फिल्म…?
1. रूह कंपा देने वाली सच्ची घटना से प्रेरित है फिल्म
मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें जोधपुर के एक ऐसे बाबा की कहानी को दिखाया गया है, जो धर्म की आड़ में कुकर्म करता है। नाबालिग लड़कियों तक के साथ गलत काम करता है। ये फिल्म इसी कहानी को उजागर करती है।
2. अंधभक्ति के प्रति जागरूक करती फिल्म
फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ में देखने वाली दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि अंधभक्ति के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस मूवी के जरिए बताने की कोशिश की गई है कि भक्ति तो कीजिए मगर अंधभक्त मत बनिए, जिससे आपको और आपके परिवार को बड़ी मुसीबतों से गुजरना पड़े।
3. एक बेटी की जुर्म के खिलाफ आवाज
अपूर्व सिंह कार्की के निर्देशन में बनी इस फिल्म में एक बेटी की हिम्मत को दिखाया गया है, जो जुर्म और बड़े-बड़े नामों का उजागर करती है। इसमें नाबालिग लड़की अपने साथ हुए दुष्कर्म के खिलाफ आवाज उठाकर बाबा के खिलाफ एक्शन लेती है, जिसमें कई खुलासे होते हैं। उस लड़की को सपोर्ट करने की बजाय बड़े-बड़े लोग बाबा को निर्दोष साबित करने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं। एक बेटी की उसके साथ हुए अनन्या की कहानी को इसमें दिखाया गया है।
4. कमाल के डायरेक्शन और एक्टिंग से सजी है फिल्म
इसके साथ ही अगर आपने काफी समय से कमाल के डायरेक्शन और एक्टिंग से सजी फिल्म नहीं देखी है तो देखने के लिए तैयार हो जाइए। इस मूवी को जब आप देखने बैठेंगे तो यकीन मानिए इसके खत्म होने से पहले तक कुर्सी छोड़कर उठने वाले नहीं हैं। मनोज बाजपेयी का अभिनय एक अलग ही छाप छोड़ता है। ईमानदार वकील बने मनोज ने अपने किरदार को जीवंत कर दिया है।
5. साहस का परिचय देती है फिल्म
‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ जैसी फिल्में समाज को आइना दिखाती हैं और ऐसी फिल्में बनाना बहुत ही साहस का काम है। क्योंकि इन फिल्मों का विरोध काफी लोग करते हैं। साथ ही मेकर्स का भी ध्यान ऐसी कहानियों पर कम ही जाता है। अधिकतर लोग फिल्में मुनाफा कमाने के लिए बनाते हैं लेकिन ऐसी मूवीज केवल समाज को उसका आइना भी दिखाने का काम करती हैं।
सवाल: अंत में फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ आपके मन में कई सवाल छोड़ जाती है कि लोग कैसे अंधभक्ति में डूबकर किसी मनुष्य को अपना भगवान मानकर उसकी शरण में चले जाते हैं? आखिर वो सरकारी स्कूलों को छोड़कर बच्चों को धर्मगुरुओं के स्कूल में बच्चों के पढ़ने के लिए क्यों भेज देते हैं जबकि हमारी सरकारें कई नीतियों के तहत अच्छी और निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है? अंत में आखिर लोग किसी अनजान शख्स के पास भेजने से पहले माता-पिता उसका परिणाम क्यों नहीं सोच पाते हैं? ऐसे कई सवाल आपके मन में उठेंगे या फिर उठते भी होंगे लेकिन इसका एक ही जवाब होगा केवल ‘अंधविश्वास’। इसलिए, भक्ति कीजिए मगर अंधभक्ति नहीं।
FAQs
1. मनोज बाजपेयी कहां के रहने वाले हैं?
मनोज बाजपेयी पटना, बिहार के रहने वाले हैं। उनका घर पश्चिमी चंपारण (बेतिया) के बेलवा गांव में है।
2. मनोज बाजपेयी के पिता का नाम क्या है?
मनोज बाजपेयी के पिता का नाम राधाकांत है।
3. मनोज बाजपेयी की पत्नी का नाम क्या है?
मनोज बाजपेयी की पत्नी का नाम शबाना रजा है।