90 दशक में सबको अपनी अदाओं और बोल्डनेस से हैरान कर देने वाली एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी दुनिया की मोह माया से दूर हो गई हैं। 24 जनवरी को उन्होंने प्रयागराज के महाकुंभ में अपना सांसारिक जीवन त्याग कर सन्यास ले लिया है। ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। किन्नर अखाड़े ने उनका पट्टाभिषेक किया और बता दें कि अब वो ममता कुलकर्णी नहीं रहीं। उनका नाम भी बदला जा चुका है, उन्हें दुनिया अब ‘माई ममता नंद गिरी’ नाम से जानेगी।

महाकुंभ के दौरान ममता कुलकर्णी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बयान सामने आया है। जिसमें कहा गया कि एक्ट्रेस ने पहले किन्नर अखाड़े में सन्यास लिया और फिर उन्हें नया नाम ‘माई ममता नंद गिरी’ नाम दिया गया। पिंडदान करने के बाद किन्नर अखाड़े ने उनका पट्टाभिषेक किया।

बता दें कि ममता कुलकर्णी शुक्रवार को महाकुंभ में किन्नर अखाड़े पहुंचीं जहां उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी से भी मुलाकात की। उन्होंने संगम में डुबकी लगाई और इस दौरान वह साध्वी के वेशभूषा में नजर आईं।

ममता कुलकर्णी का हुआ पिंड दान

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को गंगा नदी के तट पर अपना पिंड दान किया। रात करीब आठ बजे किन्नर अखाड़े में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनका महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया गया। इस प्रेरण के साथ, ममता कुलकर्णी श्रद्धेय महामंडलेश्वरों की श्रेणी में शामिल हो गईं हैं। यह उपाधि उन आध्यात्मिक नेताओं को दी जाती है जो धार्मिक प्रवचन और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ममता कुलकर्णी ने जताई खुशी

सन्यास और पट्टाभिषेक के बाद कुलकर्णी ने कहा, “ये मेरा सौभाग्य होगा कि मैं भी महाकुंभ के इस पवित्र क्षण का साक्षी बन रहा हूं।” मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अपनी तपस्या 2000 में शुरू की थी और फिर मैं लक्ष्मी नायारण त्रिपाठी को अपना पट्टा गुरु बना लिया। क्योंकि आज शुक्रवार है… यह महा काली का दिन है। कल मुझे महामंडलेश्वर बनाने की तैयारी चल रही थी। लेकिन आज मां शक्ति ने मुझे निर्देश दिया कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को चुनूं क्योंकि वह अर्धनारीश्वर का साक्षात रूप हैं। एक अर्धनारीश्वर द्वारा मेरा पट्टाभिषेक करने से बड़ी उपाधि और क्या हो सकती है।”

ममता कुलकर्णी को देनी पड़ी परीक्षा

कुलकर्णी ने कहा कि महामंडलेश्वर पद के लिए उन्हें परीक्षा का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा,”मुझसे पूछा गया कि मैंने 23 साल में क्या किया। जब मैंने सभी परीक्षाएं पास कर लीं, तो मुझे महामंडलेश्वर की उपाधि मिली।” ममता कुलकर्णी ने कहा कि उन्हें यहां बहुत अच्छा लग रहा है और ऐसी ग्रह स्थिति 144 साल बाद बन रही है। कोई भी महाकुंभ इस महाकुंभ जितना पवित्र नहीं हो सकता। ममता कुलकर्णी महाकुंभ के लिए ही 25 साल बाद भारत लौटी हैं। खुद उन्होंने वीडियो के जरिए इसकी जानकारी दी थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

कई लोगों को है आपत्ति

ममता कुलकर्णी से पूछा गया कि क्या उनकी ‘दीक्षा’ को लेकर संतों में गुस्सा था? इस पर उन्होंने कहा, “कई लोग नाराज हैं, मेरे फैंस भी नाराज हैं, उन्हें लगता है कि मैं बॉलीवुड में वापसी करूंगी। लेकिन यह सब ठीक है। देवताओं की जो इच्छा हो। महाकाल और महाकाली की इच्छा को कोई टाल नहीं सकता। वो परम ब्रह्म है। मैंने संगम पर पिंडदान का अनुष्ठान किया है।”

सालों से जूना अखाड़े से जुड़ी हैं ममता कुलकर्णी

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने कहा कि कुलकर्णी पिछले दो साल से जूना अखाड़े से जुड़ी हुई हैं और वो हाल ही में किन्नर अखाड़े के संपर्क में आईं। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…