Mahabharat 14 April 2020 Updates: है ज्ञान की ये गंगा सदियों से भी पुरानी, ऋषियों की अमर बाणी-महाभारत। दौपदी के स्वयंवर की तैयारी जोरों शोरों से की जाती है। वहीं द्रुपद अपनी बेटी का विवाह अर्जुन से करना चाहते हैं। लेकिन द्रौपदी स्वयंवर से पहले ही लाक्षा गृह की घटना हो चुकी है। अब सभी को लगता था कि पांचों पांडव और कुंती उस लाक्षा गृह की अग्नि की भेंट चढ़ गए। जबकि पांचों पांडव सकुशल उस गृह से बच निकलते हैं। किसी भी पांडु पुत्र और कुंती का बाल भी बाका नहीं होता। इधर,  श्री कृष्ण भी देखने आते हैं कि स्वयंवर में क्या होता है। अचानक पांडव भी द्रौपदी के स्वयंवर में आ पहुंचते हैं।  द्रुपद की कन्या के स्वयंवर के बारे में सुन सभी भाई ब्राह्मण वेष में द्रौपदी के स्वयंवर में पहुंचते हैं।

स्वयंवर में पराक्रम दिखाने की बारी आती है तो कई राजाओं से धनुष अपनी जगह से हिल ही नहीं पाता और सभी राजा लज्जित हो कर अपने स्थान पर आ बैठते हैं। सूर्य पुत्र कर्ण भी स्वयंवर में पहुंचते हैं। सूर्यपुत्र कर्ण इसे चुनौती के समान लेते हैं और धनुष उठा लेते हैं। तभी श्रीकृष्ण द्रौपदी को इशारा करते हैं औऱ द्रौपदी कर्ण को ठहरने के लिए कहती है। द्रौपदी कहती हैं कि वह सूतपुत्र से शादी नहीं करेंगी। कर्ण का भरी सभा में अपमान हो जाता है जिसे दुर्योधन बर्दाश्त नहीं करता औऱ कहता है कि इस सभा में ऐसा कोई वीर नहीं है जो कर्ण के समान एक हाथ से धनुष पकड़े और मीन की आंख पर निशाना साधे। जानें इसके बाद आगे क्या होता है:-

 

Live Blog

20:00 (IST)14 Apr 2020
"बेटी चली पराए देस"...

कन्या है धन धूप सा, करना उसका दान। सुबह पिता के द्वार है... दिवस पिया के धाम। विदाई के लिए दासियां द्रौपदी का श्रृंगार करती हैं। द्रौपदी अपनी सूनी आंखों से पूरे महल को देख रही हैं, वहीं, पांचाल नरेश भी द्रौपदी की विदाई के समय उदास हो जाते हैं। अपनी माता, पिता और भाई से मिलकर द्रौपदी डोली में बैठ जाती हैं। पांचाल नरेश उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि जहां रहे खुश रहे, दूर रहे सभी संताप।

19:51 (IST)14 Apr 2020
विदुर ने पांडवों से लौट चलने को कहा

विदुर सबसे मिलने पहुंचते हैं और महाराज द्वारा भेजे गए उपहार लेकर आते हैं। विदुर सबके समक्ष अपने आने का पर्याय बताते हैं और द्रौपदी समेत पांडवों को वापस हस्तिनापुर लौटने के लिए कहते हैं। द्रुपद उनसे कहते हैं कि द्रौपदी तो हस्तिनापुर की हो चुकी है, आप जब चाहें उन्हें ले जा सकते हैं। पर वो पांडवों से ये नहीं कह सकते क्योंकि वो उनके अतिथि होने के साथ ही उनके जमाई भी हैं। श्री कृष्ण उनसे कहते हैं कि उनका और दाऊ का भी अपनी बुआ के ससुराल जाने का बहुत मन है। द्रुपद युवराज दृष्टिद्युम्न से कहते हैं कि रथ-हाशी और दासियों के साथ द्रौपदी की विदाई की तैयारी करो।

19:39 (IST)14 Apr 2020
पांडवों को लाना ही था तो मुझे दूत बनाकर भेज देते...

इधर, शकुनि दुर्योधन से कहते है कि अगर पांडवों को लाना ही था तो मुझे दूत बनाकर भेज देते, मैं कुछ तरकीब निकालकर उन्हें यहां आने ही नहीं देता। विदुर के बारे में दुर्योधन कहते हैं कि वो विदुर काका पर पक्षपात का आरोप तो नहीं लगा सकते हैं लेकिन उनकी नीतियों ने हमेशा उन्हें ही हानि पहुंची है। इस बीच, विदुर की मुलाकात कुंती से होती है और वो हस्तिनापुर की गंभीर स्थितियों से उन्हें अवगत कराते हैं और कहते हैं कि पांडव तो वहां की आत्मा हैं।

19:33 (IST)14 Apr 2020
धृतराष्ट्र का पुत्र मोह...

तभी उनको खबर मिलती है कि हस्तिनापुर से विदुर दूत बनकर आए हैं। युधिष्ठिर कृष्ण से कहते हैं कि वो अभी विदुर काका से मिलकर आते हैं, इतने में कृष्ण उन्हें रोककर कहते हैं कि विदुर अभी केवल एक दूत हैं। अब जो भी बात होगी, सबके समक्ष ही होगी। इधर, धृतराष्ट्र गांधारी से कहते हैं कि वो चिंतित हैं कि कहीं पुत्र मोह में आकर पांडवों के साथ कोई अन्याय न कर दें। गांधारी उनसे कहती हैं कि वो अपनी मृगतृष्णा से वापस क्यों नहीं निकल आते। धृतराष्ट्र के अनुसार अब कोई बीच का रास्ता निकालना जरूरी हो गया है।

19:26 (IST)14 Apr 2020
अपना अधिकार मारना ही धर्म है

कृष्ण ने युधिष्ठिर से पूछा कि अब तो उनके जीवित होने की खबर तो सबको मिल चुकी है, तो अब क्या करना है। युधिष्ठिर उनसे कहते हैं कि वो युद्ध नहीं चाहते हैं। पर कृष्ण कहते हैं कि अपना अधिकार मांगना ही धर्म है। पांचाल नरेश द्रुपद युधिष्ठिर से कहते हैं कि उनकी व उनके मित्रों की सेना उनके साथ है। इस पर कृष्ण कहते हैं कि पहले हमला करने का आरोप पांडवों पर नहीं लगना चाहिए।

19:22 (IST)14 Apr 2020
शकुनि की चाल

शकुनि अपने सेवक से कहते हैं कि तुमने झूठ बोलने का अपराध किया है और पांडवों के साथ सातवां व्यक्ति कौन था इसके बारे में नहीं बताया। इस अपराध का तुम्हें क्या दंड मिलना चाहिए, इस पर सेवक ने कहा कि उन्हें मृत्यु दंड मिलना चाहिए। शकुनि ने उसे एक विषैला पेय दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

19:18 (IST)14 Apr 2020
कर्ण का क्रोध...

दुर्योधन अंगराज कर्ण से मिलने पहुंचे तो कर्ण ने कहा कि मेरा हृदय तुम्हारे राज्य का वो भाग है जिसे तुम कभी हार नहीं सकते। कर्ण दुर्योधन से कहते हैं कि मैं गांधार नरेश शकुनि से क्रोधित हूं क्योंकि उन्होंने पांडवों के सामने आंख उठाने के योग्य नहीं छोड़ा। वो दुर्योधन से कहते हैं कि उसे अपनी भुजाओं के बल और गदा के प्रहार से ज्यादा भरोसा शकुनि के षडयंत्रों पर करते हो।

19:14 (IST)14 Apr 2020
बहुत सावधानी से चलने की आवश्यकता है

इस पर धृतराष्ट्र कहते हैं कि अभी उसका पिता इतना कमजोर भी नहीं हुआ कि अपने पुत्र के लिए कुछ न कर सके। वो बस इसलिए चुप हैं क्योंकि पांडवों को ये न लगे कि लाक्षागृह कांड में उनका कोई हाथ है। वो दुर्योधन से कहते हैं कि अभी सावधानी से कदम रखने पड़ेंगे। इस समय पांडवों को भड़काने वाले लोगों की कमी नहीं है।

19:10 (IST)14 Apr 2020
महाभारत 14 अप्रैल शाम का एपिसोड

दुर्योधन धृतराष्ट्र से कहते हैं कि वो ये क्या सुन रहे हैं। उन्होंने विदुर काका को पांडवों को वापस बुलाने का निर्णय कैसे कर लिया। दुर्योधन कहते हैं कि आप उनसे इतना डरते क्यों है इस पर नरेश कहते हैं कि वो उनसे नहीं जन समुदाय से डरते हैं। वो कहते हैं कि नीति का जितना ज्ञान विदुर को है उतना किसी के पास नहीं है। उन्हें अपने साथ मिलाकर रखो। अब युधिष्ठिर असहाय नहीं है, उसे पांचाल नरेस द्रुपद का साथ है और द्वारका की शक्ति भी उनके साथ है। इस पर दुर्योधन धृतराष्ट्र को चेतावनी देते हुए कहते हैं कि अगर उन्हें उनका अधिकार नहीं मिला तो वो आत्महत्या कर लेंगे।

12:26 (IST)14 Apr 2020
'सारे भाई आपस में बांट लो'

श्रीकृष्ण कहते हैं-राजसमाज को गुस्सा नहीं बल्कि लज्जित होना चाहिए। अब श्रीकृष्ण द्रौपदी औऱ अर्जुन को प्यार और आदर से वहां से जाने केलिए कहते हैं । अर्जुन भीम औऱ द्रौपदी को साथ ले आते हैं। कुटिया में पहुंचते ही कुंती को अर्जुन बताते हैं कि देखो मां हम क्या लाए। तभी माता कुंती कहती हैं कि सारे भाई आपस में बांट लो

12:20 (IST)14 Apr 2020
अर्जुन के गले में द्रौपदी ने डाली वरमाला

मगध नरेश पर अब सभी गुस्सा प्रकट करने लगते हैं। सब कहने लगते हैं कि ब्राह्मण को धनुष हाथ लगाने और चलाने की इजाजत क्यों दी गई, यह सभा क्षत्रियों के लिए थी। श्री कृष्ण मगध राजन का साथ देते हैं। तभी सभा में हो हल्ला मच जाता है। अब सभा में बैठे सभी राजा कहते हैं कि द्रौपदी को अब खत्म होना होगा। तभी अर्जुन उनकी सहायता को आगे आते हैं और भीम खंबा उखाड़ कर सभा में हिंसा करने वालों को डराते हैं। तभी अर्जुन द्रौपदी से कहते हैं कि क्या वह उन्हें स्वीकार करती हैं। द्रौपदी खुशी खुशी वरमाला अर्जुन के गले में डाल देती हैं।

12:11 (IST)14 Apr 2020
अर्जुन ने साधा निशाना, मछली की आंख में जा लगा तीर

आर्जुन धनुष तैयार करते हैं और मछली को देखते हैं फिर कभी मछली के प्रतिबिंब को देखते हैं। घुटने के बल बैठ कर अर्जुन धनुष का मुख आकाश की ओर धरते हैं और प्रतिबिंब को देखते हुए निशाना साते हैं। निशाना सीधा मछली की आंख में जा लगता है।

12:01 (IST)14 Apr 2020
अर्जुन का मनोबल तोड़ने की कोशिश जारी

इस बीच अर्जुन का मनोबल तोड़ने की कोशिश की जाती है। लेकिन अर्जुन अपने निशाने पर नजर गढ़ाए रहते हैं। सबके मन में ये दुविधा होती है कि अब क्या होने वाला है।

11:38 (IST)14 Apr 2020
युधिष्ठर ने बढ़ाया अर्जुन का मनोबल..

दौपदी कहती हैं कि ' मेरी वरमाला किसी सूत पुत्र के लिए नहीं बनी है।' इसके बाद क्रोधित हो कर्ण स्वयंवर सभा में खुद को अपमानित महसूस करते हैं और कहते हैं कि ऐसे में आपकी वरमाला सूख जाएगी। दुर्योधन भी क्रोधित हो जाता है। वह कहता है कि इस सभा में ऐसा कोई वीर नहीं है जो इस कार्य को संपन्न करे। आप ये वरमाला लेकर खड़ी ही रह जाएंगी। तभी युधिष्ठर अर्जुन को इशारा करते हैं औऱ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। अर्जुन अपने बड़े भैया की आज्ञा का पालन करते हैं औऱ धनुष से मछली की आंख भेदने के लिए निकल पड़ते हैं।