Mahabharat 1 May Episode online Updates: शिखंडी अपने शिविर में बैठे हुए प्रतिशोध की आग में जल रहा है। शिखंडी गंगा पुत्र भीष्म को मारने की तैयारी कर रहा है। शिखंडी के पास उनके अनुज आते हैं और शिखंडी उन्हें काशी की रानी अंबा के अपमान का वह दिन याद दिलाते हैं। शिखंडी उस समय हुए अपमान के बारे में सोचकर गुस्से में आ जाते हैं। शिखंडी गंगा पुत्र भीष्म को मारने की तैयारी कर रहा है। शिखंडी के दिल में बदले की आग जल रही है। शिखंडी को हर एक पल याद आता है जब गंगा पुत्र भीष्म ने पूर्व जन्म में कैसे भरी सभा में उसका और उसकी बहनों का अपमान करते हुए उन्हें हर लिया था।
धृतराष्ट्र की पत्नी महारानी गांधारी को लगातार अपने पुत्रों की चिंता सता रही है। उसे डर है कि युद्ध में कहीं उसके पुत्रों का वध न हो जाए। इन सबके बीच गांधारी से मिलने के लिए पांडवों की माता कुंती पहुंचती हैं। कुंती को देखकर गांधारी कहती हैं कि मैं तुमसे बात नहीं करूंगी तुम यहां से जा सकती हो। महारानी की बात सुनकर कुंती कहती हैं कि आप मुझसे बड़ी हैं आपका गुस्सा करने का हक है कृपा करके मुझे क्षमा कर दीजिए।
कुंती कहती है कि बड़ों के क्षमा पर छोटों का अधिकार होता है। कुंती की बात सुनकर गांधारी खुश होती है और कहती है कि मैं सभी को माफ कर दूंगी लेकिन कर्ण और शकुनि को कभी माफ नहीं करूंगी। इस दौरान गांधारी कुंती से वचन मांगती हैं कि अगर तुम दिल से मुझे अपना मानती हो तो तुम कभी भी मेरे बच्चों को श्राप मत देना। जिसपर कुंती कहती है कि मैंने दुर्योधन को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया है। वहीं दूसरी ओर मामा शल्य दुर्योधन के जाल में फंस जाते हैं। शल्य युधिष्ठिर को बताने के लिए पहुंचते हैं कि अब वह दुर्योधन की तरफ से युद्ध लड़ेंगे।
कृष्ण ने शल्य से कहा कि आप पांडवों को आशीर्वाद तो दे ही सकते हैं न। शल्य ने कहा दुर्योधन ने मुझे धोखा दिया है, लेकिन मेरा आशीर्वाद पांडवों के साथ हैं। सहदेव ने कहा आप हस्तिनापुर जाकर मेरी मां कुंती से क्षमा मांगिए।
Highlights
गंगापुत्र भीष्म को सर्वनाश की चिंता सता रही है। ऐसे में एक बार फिर वो अपनी मां देवी गंगा के पास जाकर अपने दिल की बात बताते हैं। मां गंगा उनसे कहती हैं कि भीष्म तुम बलवान और बुद्धिमान दोनों हो मुझे पूरा भरोसा है कि तुम धर्म का साथ दोगे।
परशुराम की आज्ञा के चलते गंगापुत्र भीष्म को उनसे युद्ध करना पड़ रहा है। उन दोनों का यु्द्ध देखकर अंबा भी काफी व्याकुल नजर आ रही है। ऐसे में इन महाशक्तियों के टकराव को केवल महादेव ही रोक सकते हैं। वर्ना प्रलय आना निश्चित है। आकाशवाणी होती है जिसके बाद भीष्म अपने शस्त्रों का त्याग करते हैं।
भीष्म से ब्रह्मऋषि बात कर रहे हैं कि तुमने अंबा को स्वीकार क्यों नहीं किया। भीष्म कह रहे हैं कि गुरुदेव अंबा ने बताया कि वह शाल्य को अपना पति मान चुकी थी। मैं तो अब उसे अपने भाई से भी नहीं ब्याह सकता। ऐसे में ब्रह्मऋषि उनके साथ युद्ध करने के लिए कहते हैं। वह कहते हैं कि अगर तुमने अंबा को ग्रहण नहीं किया तो युद्ध होगा। भीष्म, युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं।
शिखंडी अपने अनुज को सभी बातें बता रहा है। भीष्म से मिले अपमान के बाद ऋषियों से अंबा प्रार्थना कर रही हैं। अंबा कहती है कि भीष्म के कारण ही राजा शल्व ने उसको त्याग दिया है। वह कह रही हैं कि मेरे पास तपस्या के अलावा कोई मार्ग खुला नहीं रह गया है। ऐसे में ऋषि कहते हैं कि पुत्री तपस्या का मार्ग आसान नहीं बहुत कठिन है। अंबा तपस्या के लिए तैयार हो जाती है। अंबा की बात सुनकर ऋषि उससे परशुराम के पास जाने की सलाह देते हैं।
शाल्व राज भीष्म को रोकने की कोशिश करते हैं। भीष्म उन्हें तीर मारकर चित्त कर देते हैं। अंबा, भीष्म को बताती हैं कि मैं आपके आने से पहले शाल्व को अपना पति मान चुकी थी। लेकिन, भीष्म उनका हरण करके हस्तिनापुर ले आए। ऐसे में गंगा, अंबा को वापस भिजवाने के लिए कहती हैं। सभा में अंबा अपनी बात रखती हैं और कहती हैं कि मैं वापस नहीं जाऊंगी और भीष्म के गले में वरमाला डालूंगी। लेकिन, भीष्म उन्हें कहते हैं कि मैंने ब्रह्माचारी होने की प्रतिज्ञा ली है। मैं वहां सिर्फ हस्तिनापुर का प्रतिनिधित्व करने आया था।
धृतराष्ट्र की पत्नी महारानी गांधारी को लगातार अपने पुत्रों की चिंता सता रही है। उसे डर है कि युद्ध में कहीं उसके पुत्रों का वध न हो जाए। इन सबके बीच गांधारी से मिलने के लिए पांडवों की माता कुंती पहुंचती हैं। कुंती को देखकर गांधारी कहती हैं कि मैं तुमसे बात नहीं करूंगी तुम यहां से जा सकती हो। महारानी की बात सुनकर कुंती कहती हैं कि आप मुझसे बड़ी हैं आपका गुस्सा करने का हक है कृपा करके मुझे क्षमा कर दीजिए।
शिखंडी गंगा पुत्र भीष्म को मारने की तैयारी कर रहा है। शिखंडी के दिल में बदले की आग जल रही है। शिखंडी को हर एक पल याद आता है जब गंगा पुत्र भीष्म ने पूर्व जन्म में कैसे भरी सभा में उसका और उसकी बहनों का अपमान करते हुए उन्हें हर लिया था।
शिखंडी अपने शिविर में बैठे हुए प्रतिशोध की आग में जल रहा है। शिखंडी गंगा पुत्र भीष्म को मारने की तैयारी कर रहा है। शिखंडी के पास उनके अनुज आते हैं और शिखंडी उन्हें काशी की रानी अंबा के अपमान का वह दिन याद दिलाते हैं। शिखंडी उस समय हुए अपमान के बारे में सोचकर गुस्से में आ जाते हैं।
मामा शल्य युधिष्ठिर को बताने के लिए पहुंचते हैं कि अब वह दुर्योधन की तरफ से युद्ध लड़ेंगे। कृष्ण ने शल्य से कहा कि आप पांडवों को आशीर्वाद तो दे ही सकते हैं न। शल्य ने कहा दुर्योधन ने मुझे धोखा दिया है, लेकिन मेरा आशीर्वाद पांडवों के साथ हैं। सहदेव ने कहा आप हस्तिनापुर जाकर मेरी मां कुंती क्षमा मांगिए। अर्जुन सहदेव को समझाते हैं।