भारत रत्न लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रविवार तड़के निधन हो गया है। राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के शिवाजी पार्क मैदान में उनका अंतिम संस्कार किया गया। लता मंगेशकर ने अपना पूरा जीवन सिर्फ और सिर्फ संगीत के नाम किया है। जीवन के आखिरी दिनों में भी वो संगीत के सहारे चैन की सांसे लेती रहीं। जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा गाना गाते हुए बिताने वाली लता मंगेशकर जानते हैं आपने आखिरी दिनों में किसकी आवाज सुनती थीं?

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लता मंगेशकर ने अस्पताल में गाने सुनने के लिए ईयरफोन मंगाए थे और वो अपने पिता के गाने सुन रही थीं। लता मंगेशकर की जीवनी लिखने वाले लेखक हरीश भिमानी ने आज तक को दिए इंटरव्यू में भारत रत्न के आखिरी पलों के बारे में जानकारी दी है। ये जानकारी उन्हें लता जी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने दी है। उन्होंने लता जी के आखिरी दो दिनों के बारे में बताया।

हरीश को लता मंगेशकर के भाई ह्दयनाथ ने बताया था कि लता दीदी आखिरी समय में पिता को याद कर रही थीं। वह अपने पिता के गाने सुन रही थीं और उन्हें गाने की कोशिश करती थीं। लता मंगेशकर को अस्पताल में मास्क हटाने से मना किया गया था मगर फिर भी मास्कर हटाकर वह गाने की कोशिश करती थीं।

लता मंगेशकर के जीवन की आखिरी रिकॉर्डिंग: लता मंगेशकर ने अपना आखिरी गीत ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ रिकॉर्ड किया, जिसे मयूरेश पई ने भारतीय सेना और राष्ट्र को श्रद्धांजलि के रूप में संगीतबद्ध किया था। इसे 30 मार्च, 2019 को रिलीज़ किया गया था। उनका आखिरी एल्बम 2004 में यश चोपड़ा की वीर-ज़ारा था। वहीं उनकी आखिरी रिकॉर्डिंग की बात करें तो उन्होंने ईशा अंबानी की शादी के लिए गायत्री मंत्र और गणेश स्तुति रिकॉर्ड की थी।

जवाहर लाल नेहरु की आंखों से छलका दिए थे आंसू: लता मंगेशकर की आवाज का जादू हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता था. लता मंगेशकर ने जब 1962 के युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना गाया था तो पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों से भी आंसू झलक गए थे।