नए कृषि बिल के विरोध में पंजाब से लेकर दिल्ली तक संघर्ष और राजनीति तेज है। पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने की वजह से राजनीति गरमाई हुई है। पिछले कुछ महीनों से पंजाब और हरियाणा सहित कई प्रदेशों के किसान लगातार इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। अब मशहूर कवि कुमार विश्वास ने इस मुद्दे को लेकर सत्ता और राजनीति पर निशाना साधा है।
कुमार विश्वास ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है,’क्योंकि समकालीन भारतीय राजनैतिक में, मैं एक अवांछित व्यक्ति हूँ, इसलिए मेरा किसी दल-नेता पर न तो कोई अधिकार है ना ही किसी सत्ता या किसी भी राजनैतिक दल को मेरे कुछ सोचने-कहने की चिंता या जिज्ञासा है पर फिर भी चूँकि मैं एक किसान अध्यापक का बेटा हूँ और खुद भी थोड़ा-बहुत मिट्टी से जुड़ा हुआ हूँ तो इस नाते देश की सारी सियासी जमात से बड़े दुखी और भरे मन से केवल प्रार्थना ही तो कर सकता हूँ। किसान और मिट्टी के बीच में केवल समर्पण और दुलार को ही आना चाहिए ! ‘
कुमार विश्वास ने आगे लिखा है,‘सत्ता और राजनीति’ जब-जब इन दोनों माँ-बेटों के रिश्ते के बीच में आई हैं तब-तब वक़्त तक को ख़राब वक़्त भोगना पड़ा है ! जो भी लोग इस रिश्ते को सही कर सकते हों या करा सकते हों उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है, अभी भी वक्त है, आँख के पानी और पसीने में दरार मत डलने दीजिए । आप सब पक्ष-प्रतिपक्ष वालों में अगर ज़रा सी भी संवेदना बची हो तो आप बहुत सब बड़े लोग आज रात, थोड़ी देर के लिए,देश का नक़्शा आँखों के आगे लाकर सोचिएगा ज़रूर।’
कुमार विश्वास के इस फेसबुक पोस्ट पर यूजर्स की तरह तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं।शंकर कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा है,’जब लोग संवेदनहीन होने लगे तो समझ लीजिए सिर्फ ठाठ ही बचा है। जब यही किसान एक वर्ष फसल उगाना छोड़ दे तो इन संवेदनहीन लोगों की अक्ल ठिकाने आ जाएगी।’ राजन पंडित नाम के एक यूजर ने लिखा है,’अन्नदाता को केंद्र में रखकर राजनीति ठीक नहीं है। भूखे मर जाओगे राजनीतिक गिद्धों वो तो फिर भी अपने खाने लायक पैदा कर लेगा। तुम अपनी सोचो बाज आओ इस प्रकार के कृत्यों और कुकृत्यों से, अब भी समय है।’
प्रशांत शर्मा नाम के एक यूजर ने लिखा है,’सत्ता और विपक्ष के बॉर्डर पर आज बड़ा असहाय दिखा किसान, विपक्ष सबसे बड़ा हितैषी रहा है किसानों का पर तब तक, जबतक वो सत्ता रुपी चाशनी में नहीं डूबा उसके बाद तो जलेबी भी मदिरा हो जाती है।’