गणतंत्र दिवस के मौके पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड निकाली। इस परेड के दौरान किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प भी हुई। किसानों का एक ग्रुप लाल किले तक पहुंच गया और वहां अपना झंडा लगा दिया। ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का मामला गरमा गया है। इसी बीच डॉ. कुमार विश्वास ने एक ट्वीट कर कहा कि यह सब देखकर और सोचकर मन दुखी है।
कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक तीन पोस्ट किए और क्षमा मांगते हुए लिखा- ‘सोचकर और देखकर मन बहुत ख़राब है। हमें क्षमा करना पुण्य-पूर्वजों हमारी सोच, हमारे काम व हमारी व्यवस्था ने आपके बलिदानों से अर्जित गणतंत्र दिवस को दुख का दिन बना दिया। कोई एक पक्ष नहीं, एक देश के नाते हम सब ज़िम्मेदार हैं, हम सबने एक दूसरे को दुख पहुंचाया। दुनिया हम पर हंस रही है।
कुमार विश्वनास ने आगे लिखा- संविधान की मान्यता के पर्व पर देश की राजधानी के दृश्य लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचाने वाले हैं। याद रखिए देश का सम्मान है तो आप हैं। हिंसा लोकतंत्र की जड़ों में दीमक के समान है। जो लोग मर्यादा के बाहर जा रहे हैं वे अपने आंदोलन व अपनी मांग की वैधता व संघर्ष को ख़त्म कर रहे हैं।
विश्वास ने किसानों के आंदोलन की ‘सफलता’ के बारे में कहा- आंदोलनों की सफलता इन चार बातों पर निर्भर होती हैं- (१)आंदोलन का उद्देश्य आख़िरी आदमी तक सही-सही समझा पाना (२)आंदोलन के कुछ सर्वसम्मति से बने मानक चेहरे होने (३)आंदोलन की गति सता विरोध से किसी भी हाल में देश-विरोधी न होने देना (४)राष्ट्रीय सम्पत्ति,राष्ट्रीय मनोबल पर चोट न करना।
सोचकर और देखकर मन बहुत ख़राब है ! हमें क्षमा करना पुण्य-पूर्वजों हमारी सोच,हमारे काम व हमारी व्यवस्था ने आपके बलिदानों से अर्जित गणतंत्र दिवस को दुख का दिन बना दिय
कोई एक पक्ष नहीं,एक देश के नाते हम सब ज़िम्मेदार हैं,हम सबने एक दूसरे को दुख पहुँचाया ! दुनिया हम पर हँस रही हैhttps://t.co/dsRfZU1yXI— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) January 26, 2021
कुमार विश्वास की इस पोस्ट को देख कर कई लोग उनका समर्थन करते दिखे तो कुछ यूजर्स विरोध करते भी दिखे। एक यूजर ने लिखा, कवि का काम लोगों का मनोबल बढ़ाने का होना चाहिए न कि इस तरह छुपकर सत्ता के समर्थन में बयान देने का। यदि रीढ़ की हड्डी मज़बूत हो तो अपने दोस्त से कहिए कि इन क़ानूनों को वापस लें। यदि किसानों को लग रहा है कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं तो सरकार इन्हें वापस क्यों नहीं ले लेती?
ठाकुर धर्मेद्र नाम के यूजर ने लिखा, ‘सत्ता से बाहर होने की बौखलाहट में कांग्रेस और वामपंथी किसी हद तक जा सकते हैं फिर वो चाहे गणतंत्र दिवस जैसे हमारे महान पर्व पर दुनिया को भारत के भीतर अराजकता का नंगा नाच दिखाने की ही क्यों ना हो ये भारत का अपमान है’।
विजय सिंह नाम के शख्स ने डॉ कुमार विश्वास को मेंशन कर लिखा- कहीं न कहीं आप भी इस हालत के ज़िम्मेदार बन चुके हैं। आपके परिश्रम का भी उतना योगदान है जो हमें केजरीवाल जैसा धूर्त मुख्यमंत्री मिला। आज आप चाहे उस पार्टी का हिस्सा न सही मगर जवाबदेही आपकी भी रहेगी। अन्ना हज़ारे और कुमार विश्वास ये दो चेहरे ही पहचान थे उस आंदोलन की।
अंश नाम के यूजर ने कहा- इनमें कोई तथाकथित गरीब किसान है ही नहीं, ये 3 कानूनों की वापसी के लिए नहीं बल्कि सिर्फ सरकार और देश की छवि को खराब करने के लिए किया जा रहा प्रदर्शन है। इनकी सभी मांगो को ठुकराते हुए इन्हें दौड़ा दौड़ा कर खदेड़ देना चाहिए, यही देशहित में है, कड़वा लेकिन यही सच है।
मुकेश जैन नाम के यूजर ने लिखा- ये कभी किसान आंदोलन था ही नहीं, ना ही किसानों की भलाई से इनका कोई मतलब है। ये खालिस्तानी नक्सली आतंक का गठबंधन है। हर नेता, पत्रकार, कवि, जिसने इन आतंकवादियों का समर्थन दिया, वो अपराधी है। योगेन्द्र यादव और राकेश टिकैत केवल किराए पर लिए गए लोग हैं, ज्यादा कुछ नहीं।

