Kumar Vishwas: कुमार विश्वास अपनी कविताओं के लिए यूथ में बहुत पॉपुलर हैं। कुमार विश्वास अपने गीतों और कविताओं में अपनी पर्सनल लाइफ से भी रस लेते हैं और रचना रच डालते हैं जो उनके फैंस को बहुत पसंद आती है। एक इंटरव्यू में विश्वास कुमार ने अपने जीवन से जुड़े कई रोमांचक किस्से बयां किए। जिसमें उनका प्रेम प्रसंग भी उन्होंने बताया।
निलेश मिश्रा को दिए इंटरव्यू में विश्वास कुमार बताते हैं कि वह कॉलेज के सबसे पॉपुलर लड़कों में से एक थे। कॉलेज टाइम में उनके पास अपनी खुद के पैसों से खरीदी यामहा बाइक थी। उसे लेकर ही वह कॉलेज जाया करते थे। उस वक्त कुमार हापुड़ में थे। इसके बाद उनकी जिंदगी में अगला पड़ाव प्रेम का आया। कुमार विश्वास बताते हैं कि-‘उस प्यार ने उनकी जिंदगी 180 डिग्री मोड़ दी थी। उस लड़की ने मुझे काफी क्राफ्ट किया। एक कवि या एक इंसास के रूप में उसने मुझे संवारा। वह हापुड़ में ही रहती थी और दूसरे कॉलेज में पढ़ती थी।’
कुमार आगे बताते हैं कि उन्होंने अपने कस्बे में एक संस्था खोली थी -सृजन। कुमार विश्वास ही उस संस्था के संस्थापक थे। कुमार आगे बताते हैं- ‘तमाम हमारे दोस्त भी इस संस्था को चलाने में हमारी मदद करते थे। जो इस वक्त दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री हैं वह तब हमारे कोषाध्यक्ष हुआ करते थे। हमने एक कार्यक्रम किया था 2 दिन का कोई 10 -11 फरवरी का था-सृजन मोहत्सव। एक दिन उसमें राष्ट्र कवि सम्मेलन था, और एक दिन उसमें भाषण-वाद विवाद प्रतियोगिता थी। तो इस प्रतियोगिता में अलग अलग कॉलेज से टीमें आई थीं, तो एक कॉलेज की टीम में वह भी शामिल थीं। वो एक पुजारी की बेटी थी, जो पुरोहितों के काम कराते थे। संस्कृतशाला मेंउनके पिता संस्कृत पढ़ाते थे।’
कुमार आगे बताते हैं- ‘जैसे मैंने उसे देखा तो जैसे दुष्यंत ने शकुंतला को देखा होगा। मैंने उसे ऐसा देखा। पहली बार मैंने ऐसी लड़की देखी जो जिंदगी सेस भरी हुई है, उचक कर चलती है, खुलके बोलती है। तो वो सेकेंड या थर्ड आई थी, भाषण देकर चली गई थी। अब 5-6 दिन की बीच में छुट्टी पड़ गई। हमारी एक बीच की दोस्त थी तो हमने उनसे पूछा कि वो तेरे साथ लड़की कौन थी? क्या करती है वो? उसके मां बाप क्या करते हैं? तो वो हंसने लगी। तो हमने कहा हंस क्यों रही है तो वो बोली 3 दिन से वो भी यही पूछ रही है।’
विश्वास ने आगे बताया- ‘मेरे भाई की विद्यार्थी थी वह लड़की। तो वो पूछ रही थी कि तेरे सर का जो भाई है वो क्या करता है? तो मैं इसके बाद मैं उसे उसके घर सीधे मिलने चला गया। उसकी गली में हम अपने दोस्त को लेकर पहुंचे। तभी गली में आगे से दो लड़के बाइक में आ रहे थे। वह हमारे बड़े भाई विकास के दोस्त थे। तो हम बड़े भाई के साथ उनके दोस्तों के भी पांव छूते थे। तो वो रुके उन्होंने पूछा कि तुम यहां क्या कहां? तो हमने बताया कि दादा एक लड़की है नाम भी बताय दिया। तो बाइक में भैया के पीछे बैठे लड़के के भाव बदलने लगे। तो वो बोले उससे क्या काम है? तो हमने बताया कि अभी वह भाषण में आई थीं। फिर अब यूनिवर्सिटी की टीम उज्जैन जानी है तो मैंने सोचा पक्ष में मैं औऱ विपक्ष में वह तैयार कर लें। तो वो लेगए हमें उनके पास।’
कुमार ने आगे बताया- ‘उन्होंने बोला ये प्रोफेसर साहब के बेटे हैं। पिताजी बाहर बैठे थे, हम अंदर गए, उसके भाइयों ने आवाजलगाई- गुड्डन…। अंदर से दो चुटिया के साथ उछलते हुएदुपट्टा लहराते एक लड़की आई । उसे लगा कि बड़े भैया आवाज लगा रहे हैं और उनके दोस्त भैया आए हैं। जैसे उसने हमें देखा तो वह देखती रह गई। वो बोली बेवकूफ हो क्या यहीं आगए- वह तैयार थी, उसे पता था…।’

