डॉ. कुमार विश्वास तमाम समसामयिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। युवाओं के बीच चर्चित डॉ. विश्वास सोशल मीडिया पर भी खूब सक्रिय रहते हैं। उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह उन लोगों पर बिफरते दिखे जो पंडित जवाहरलाल नेहरू  और सावरकर की आलोचना करते हैं। इस वीडियो में वह कहते हैं कि 74 साल बाद उन लोगों को गाली देने से अच्छा है कि आप खुद नई व्यवस्था बनाइये। यूथ ऐइकॉन ऑफ इंडिया के  अकाउंट से कुमार विश्वास के इस वीडियो को ट्वीट किया गया है जिसमें कैप्शन दिया गया है- ‘नेहरू और सावरकर को गाली देनेवाले “की-बोर्ड क्रांतिकारियों” और उनके राजनैतिक आकाओं को डॉ कुमार विश्वास का ये वीडियो ज़रूर सुनना चाहिए।

कुमार विश्वास वीडियो में कहते हैं- ‘आजादी लाने में लगभग एक हजार साल की गुलामी लगी और 100 साल के आसपास का मानक संघर्ष लगा। 1857 में पहली बार कोशिश हुई और ये कोशिश 90 सालों बाद कामयाब हुई। कुछ की-बोर्ड क्रांतिकारी जिनका अध्ययन कम है, जिन्हें इतिहास कम पता है, जिन्हें राजनीति विज्ञान नहीं पता है, जो बुजुर्गों के सतसंग में कम बैठे हैं, वो आजादी के मानकों और नायकों के बीच विभेद करने लगे हैं।’

वह आगे कहते हैं- ‘कोई भी बात होती है तो वह चार लोगों के खिलाफ गालियां बकते हैं और चार लोगों की प्रशंसा करते हैं। जैसे कोई भी बड़ा काम एक व्यक्ति के सहारे नहीं होता वैसे ही आजादी भी किसी एक व्यक्ति के सहारे नहीं आई। आजादी लाने में बहुत सारे लोगों की सोच लगी बहुत लोगों का संघर्ष लगा। उन्होंने अपने अपने तरीके से उस लड़ाई को लड़ा। कुछ लोगों ने अंग्रेजों को सैन्य बल से परास्त किया, जिनमें से सबसे बड़ी कोशिश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की थी। आजाद हिंद फौज को उस समय की जापानी सेना का समर्थन प्राप्त था। दुर्भाग्य से वह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई थी। हमारे देश के बड़े बड़े क्रांतिकारियों के दलों ने अलग अलग तरीके से इस कोशिश को कायम रखा। किसी ने वैचारिकी के सहारे चुनौती दी, लेख लिखे। तो कुछ लोग तो रेखांकित ही नहीं हुए।’

https://twitter.com/YouthIconOfInd/status/1307356302541164544?s=19

विश्वास कहते हैं- ‘मैं देखता हूं कि एक वर्ग है जो नेहरू के खिलाफ है, जो गांधी के खिलाफ है। तो एक वर्ग है जो दूसरे प्रकार के लोगों के खिलाफ है। कोई नेहरू को गाली देता है तो कोई सावरकर को गाली देता है। तो कोई गांधी को गाली देता है। कोई अंदर-अंदर गांधी को गाली देता है और बाहर से उनकी समाधि पर फूल चढ़ाता है। अलग अलग प्रकार के लोग हैं, लेकिन आज हम जो लोग हैं, बहत्तर चौहत्तर साल पहले उसमें हमारा कोई योगदान नहीं था। बहुत से लोग तो तब पैदा भी नहीं हुई थे। कुछ को तो कुछ पता भी नहीं था। तो ऐसे में उन लोगों को धन्यवाद है जो कुछ कर रहे थे उस समय देश के लिए।’

कुमार विश्वास ने कहा- ‘वह सब बुजुर्ग लोग थे, घर के बड़े लोग थे हो सकता है कि उनके किसी निर्णय से आप असहमत हों, ये भी हो सकता है कि उनका वह निर्णय उस समय के हिसाब से आपको सही न लगा हो, तो भी आप मानकर चलिए कि वह बात भी उन्होंने अच्छी ही की थी। मानके चलिए कि उस समय उन्हें वही सूझा था।’