हिंदी सिनेमा में जब भी संगीत और सुरों का ज़िक्र होता है कविता कृष्णमूर्ति का नाम शीर्ष पर होता है। कविता कृष्णमूर्ति ने अपनी शुरुआत एक डबिंग सिंगर के तौर पर की थी। वो आशा भोंसले और लता मंगेशकर के डेमो गाया करतीं थीं। उन्होंने यह मान लिया था कि अब यही उनकी किस्मत है लेकिन लता मंगेशकर को उनका गाना इतना पसंद आया कि कविता कृष्णमूर्ति को एक प्लेबैक सिंगर के रूप में ब्रेक मिल गया।

कविता कृष्णमूर्ति उन दिनों सुभाष घई की फिल्म, ‘मेरी जंग’ के लिए डेमो गा रहीं थीं। असली गाने लता मंगेशकर को गाने थे। कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़ में डेमो रिकॉर्ड हुआ और जब वो डेमो लता मंगेशकर ने सुना तो उन्हें कविता की आवाज़ बहुत पसंद आई। अभिनेता अनु कपूर ने अपने रेडियो शो में बताया था कि लता मंगेशकर उनकी आवाज़ से बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने फिल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से कहा, ‘फिल्म का असली गाना भी इसी बच्ची से गवाओ।’

अपने ब्रेक को लेकर कविता ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मेरी आवाज़ शूटिंग के लिए इस्तेमाल होती थी। क्योंकि हीरोइन को शूटिंग के लिए इमोशन की जरूरत होती थी तो मैं गाना गाती थी फिर बाद में लता जी आकर गाना गातीं थीं। उन दिनों मैं कई फिल्मों के लिए गाती थी। फिर बारी आई ‘मेरी जंग’ की। एक दिन अचानक सुभाष जी आए स्टूडियो में और मैं उनके लिए गाने लगी। वो गाना भी डबिंग के सिलसिले से ही मैं गा रही थी लेकिन सुभाष जी का बड़प्पन है कि उन्होंने मेरी कुछ लाइन्स फिल्म में रख दिए।’

उन्होंने आगे कहा था, ‘मैं उस वक़्त नई सिंगर थी और मैंने ये स्वीकार भी लिया था कि मैं डबिंग सिंगर ही हूं लेकिन उस स्टेज में भी उन्होंने मुझे बहुत इम्पोर्टेन्ट गाने दिए। बल्कि उनकी हर फिल्म में मैं टाइटल गाना गाती थी।’

कविता कृष्णमूर्ति को कर्मा फिल्म के गाने, ‘हर करम अपना करेंगे’ से काफी लोकप्रियता मिली थी। फिल्म ‘हीरो’ में भी उनके गानों को काफी पसंद किया गया और वो जल्द ही हिंदी सिनेमा जगत की स्थापित प्लेबैक सिंगर बन गईं। उन्होंने हिंदी के अलावा कन्नड़ फिल्मों के लिए भी काफी गाने गाए।