करिश्मा कपूर के पूर्व पति और दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर की मां रानी कपूर ने उनकी संपत्ति को लेकर चल रहे पारिवारिक विवाद के बीच एक नया बयान दिया है। कुछ दिन पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि शोक के वक्त उन्हें दस्तावेजों पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में, रानी कपूर ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की मौत के बारे में कुछ क्लियर नहीं पता है, उन्हें संदेह है। संजय की जून में पोलो खेलते समय एक अजीब दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जब एक मधुमक्खी निगलने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।

रानी कपूर ने कहा है, “मुझे अभी भी नहीं पता कि मेरे बेटे का क्या हुआ। मैं अब बूढ़ी हो गई हूं, और जाने से पहले मुझे क्लोजर चाहिए। मैं भले ही बूढ़ी और कमजोर हूं, लेकिन सोना की स्थापना के समय अपने पति के साथ बिताए पलों की यादें मेरे दिल को छू जाती हैं। मुझे सोना के शुरुआती दिन याद हैं, जिन्हें मैंने बहुत देखभाल, त्याग और प्रेम से बनाया था। मैं दुनिया को ये याद दिलाने आई हूं कि हमारी पारिवारिक विरासत को खोना नहीं चाहिए। इसे वैसे ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए जैसे मेरे पति हमेशा से चाहते थे। मेरे स्वास्थ्य और उम्र को देखते हुए, मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। मेरी कानूनी टीम हर जरूरी कदम उठाएगी।” इससे पहले रानी कपूर ने कुछ और भी आरोप लगाए थे। पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

कुछ दिन पहले, उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे की मृत्यु के बाद उन्हें बिना किसी कारण के विभिन्न दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और कुछ लोग खुद को परिवार का प्रतिनिधि बता रहे थे। इसके बाद, बोर्ड ने प्रिया सचदेव को सोना कॉमस्टार का गैर-कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया। इसके बाद से उन्होंने अपना सोशल मीडिया हैंडल प्रिया सचदेव कपूर से बदलकर प्रिया संजय कपूर कर लिया है। विक्रम चटवाल से उनकी पिछली शादी से हुई बेटी सफीरा ने भी सोशल मीडिया पर अपना सरनेम हटा दिया है।

संजय और प्रिया ने 2017 में शादी की और उनका एक बेटा है। इससे पहले संजय की शादी बॉलीवुड स्टार करिश्मा कपूर से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे हैं, बेटी समायरा और बेटा कियान। अपनी मृत्यु से कुछ हफ्ते पहले एक इंटरव्यू में, प्रिया ने अपने परिवार के बारे में बात की थी। “संजय और मैंने कई बार बातचीत की। मैंने उनसे कहा, चलो लोलो को चाय पर बुलाते हैं। उस चाय के बाद रात का खाना हुआ और आखिरकार, वो हमारे साथ पारिवारिक छुट्टियों में शामिल हो गई क्योंकि बच्चों ने इसकी डिमांड की थी। मैं सोचती थी – क्या वो कंफर्टेबल महसूस करेगी? क्या मैं भी? क्या मैं पजामा पहनकर, कॉफी की चुस्कियां लेते हुए रह सकती हूं? लेकिन ऐसी कुछ मुलाकातों के बाद, ये सब बहुत स्वाभाविक हो गया।”