करण जौहर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम हैं, उन्होंने अपने करियर में कई फिल्मों का निर्माण किया और कुछ मूवीज में अभिनय भी किया। फिल्मों के अलावा वह अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी सुर्खियों में रहते हैं। अब हाल ही में उन्होंने एक पॉडकास्ट में बचपन से ही खुद को नाजुक और लड़की जैसा समझे जाने के बारे में खुलकर बात की है। इसकी वजह से उन्हें स्कूल में ताने, बुलिंग, इनसिक्योरिटी और लम्बा संघर्ष झेलना पड़ा था।
दरअसल, निर्माता-निर्देशक हाल ही में सानिया मिर्जा के साथ पॉडकास्ट का हिस्सा बने, जहां उन्होंने अपनी लाइफ से जुड़े कई खुलासे किए। करण ने बताया कि उन्होंने 15 साल की उम्र में तीन साल तक वॉइस-कोचिंग क्लास ली थी और यह बात उन्होंने अपने पिता दिवंगत प्रोड्यूसर यश जौहर से छिपाई थी। चलिए जानते हैं कि उन्होंने इस बारे में क्या कहा।
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करण जौहर ने कही ये बात
करण ने कहा, “मुझे कोर्स का बहुत शौक था। मैं हर समय कोर्स करता रहता था। मुझे नई चीजें सीखना बहुत पसंद था। उन दिनों मेरी उम्र के लड़के स्पोर्ट्स खेलते थे और मैं खाना बनाना और फल-फूलों की सजावट भी सीख रहा था। मैंने एक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट क्लास भी की। जिन कोर्स के लिए मैं बहुत पैशनेट था, उनमें से एक पब्लिक स्पीकिंग था, क्योंकि मुझे स्कूल में स्पीच देना और नाटक करना बहुत पसंद था।”
अपनी आवाज को लेकर क्या बोले करण
इसके आगे करण ने बताया कि उन्हें अपनी औरतों जैसी आवाज और हाव-भाव का पता तब चला जब उनके कोच ने उन्हें अपनी आवाज को और ज्यादा बैरिटोन जैसा बनाने के लिए वॉइस क्लास लेने के लिए कहा। करण ने कहा, “एकेडमी चलाने वाले आदमी पहले दो सेशन के ठीक बाद मेरे पास आए और कहा कि तुम बहुत होशियार बच्चे हो, लेकिन तुम्हारी आवाज लड़कियों जैसी है।
तुम्हारी पर्सनैलिटी बहुत औरतों जैसी है और तुम्हारी आवाज लड़कियों जैसी है। दुनिया ऐसे बोलने वाले आदमियों के लिए सख्त है, तो क्या मैं तुम्हारी आवाज को बैरिटोन और मर्दों जैसी बनाने में तुम्हारी मदद कर सकता हूं।” काउंसलिंग और अवेयरनेस की कमी ने उन्हें क्लास लेने के लिए कैसे मजबूर किया, इसके बारे में बात करते हुए निर्माता ने कहा, “यह 1989 की बात है। यह किसी भी बच्चे के लिए बहुत ही इंप्रेसिव समय था। हमें अवेयरनेस नहीं थी, कोई वोकनेस नहीं थी, कोई सेल्फ अवेयरनेस या आपकी मदद के लिए काउंसलिंग नहीं थी।
यह सबको साथ लेकर चलने वाला समय नहीं था। आप कमजोर, डरे हुए और परेशान थे। इसलिए मैंने उनकी सलाह मानी और उनके साथ 3 साल तक वॉइस कोचिंग की। मैंने इसके लिए पैसे दिए, मैं हफ्ते में तीन बार हर दिन 2 घंटे के लिए गया, लेकिन मैंने अपने पापा को नहीं बताया क्योंकि मुझे यह बताने में बहुत शर्म आ रही थी कि मैं असल में क्या कर रहा हूं और मुझे यह भी डर था कि वे मुझसे पूछेंगे क्यों।”
करण ने आगे कहा कि हालांकि, उनके पिता ने कभी उनके तौर-तरीकों पर सवाल नहीं उठाया और वह उनके हर काम पर गर्व करते थे। फिर भी उन्होंने कोर्स किया क्योंकि कोच ने जोर दिया कि उन्हें इसकी जरूरत है। करण ने कहा, “मैं यह इसलिए करना चाहता था, क्योंकि उस कोच ने मुझसे कहा था। कोच ने मुझसे कहा कि अगर तुम मर्दों की तरह नहीं बोलोगे तो तुम दुनिया का सामना उस कॉन्फिडेंस के साथ नहीं कर पाओगे जिसकी तुम्हें जरूरत है।”
करण अपने पिता के सामने सच नहीं बोल सके, इसलिए वह झूठ बोलकर क्लास जाते रहे। डायरेक्टर बोले, “मैंने अपने पापा से कहा था कि मैं कंप्यूटर क्लास जा रहा हूं और उनसे पैसे लेकर अपने कोच को दे दिए। तीन साल मैंने वॉइस और वॉकिंग कोचिंग की क्योंकि मैं लड़कियों की तरह चलता और बोलता था। मैं उस समय 15 साल का था और यह तब तक चला जब तक मैं 18 या 19 साल का नहीं हो गया।”
फिर करण ने बताया कि एक बार तो वह पकड़े जाने वाले थे, जब उनके पिता ने उन्हें अपने सामने कंप्यूटर इस्तेमाल करने के लिए कहा। करण ने बताया, “19 साल की उम्र में सबसे मजेदार बात यह हुई कि कंप्यूटर मेरे पापा के ऑफिस में आया और उन्होंने कहा कि तुम तीन साल से यह कर रहे हो, यह रहा कंप्यूटर। मुझे सोचा कि मैंने अपनी जिंदगी में कभी कंप्यूटर नहीं देखा, क्योंकि मैं कंप्यूटर क्लास नहीं कर रहा था। मैंने उनसे कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या करना है। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं तीन साल से क्या कर रहा था और फिर मैं कोई बहाना बनाकर वहां से निकल गया।”
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