Kader Khan death Anniversary: कादर खान हिंदी सिनेमा जगत के उन कलाकारों में से एक रहे, जिन्होंने एक नहीं बल्कि दो दशक तक इंडस्ट्री में राज किया। उनका नाम इंडस्ट्री के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक रहा है। साल 2018 में वो दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन, आज भी अपने दमदार अभिनय की वजह से वो लोगों के जहन में जिंदा हैं। कादर खान ने फिल्म इंडस्ट्री को अपने जीवन के कीमती 45 साल दिए हैं। लेकिन, उनके लिए यहां तक पहुंचना कोई आसान बात नहीं थी। इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत रही। आज उनकी पुण्यतिथि है और इस मौके पर आपको उनकी जिंदगी के बारे में बता रहे हैं। चलिए जानते हैं…
कादर खान का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था। उनसे पहले उनके परिवार में 3 बेटे हुए थे, जिनका 8 साल की उम्र तक निधन हो जाता था। इस बात से उनकी मां काफी डर गई थीं और उन्होंने भारत आने का फैसला किया। यहां वो मुंबई के धारावी में आकर बस गई थीं। जब कादर खान एक साल के थे तो उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद उनके सिर से पिता का साया उठ गया और घर की माली हालत खराब हो गई। बताया जाता है कि बचपन में वो डोंगरी जाकर एक मस्जिद पर भीख मांगते थे और दिनभर में दो रुपए मिलते थे, जिससे उनका घर चलता था। एक इंटरव्यू में अभिनेता ने खुलासा किया था कि हफ्ते में तीन दिन वो और उनकी मां को खाली पेट ही सोना पड़ता था।
मां की मानी सलाह फिर बदली किस्मत
इसके बाद कादर खान को उनकी मां ने एक सलाह दी, जिसके बाद एक्टर की पूरी किस्मत ही बदल गई। दरअसल, ये किस्सा ऐसा था कि वो छोटी सी उम्र में ही काम करने जाने वाले थे। इस पर उनकी मां ने रो-रोकर उनसे कहा था कि 3-4 पैसे से कुछ नहीं होगा। उनकी मां ने उनसे पढ़ने की सलाह दी थी और कहा था कि सारी मुसीबतों को वो खुद झेल लेंगी। वहीं, कादर ने भी मां की बात मान ली और उन्होंने स्कूल में दाखिल ले लिया। अभिनेता को बचपन से ही मिमिक्री की आदत थी। जब मां उन्हें पढ़ने के लिए भेजती थीं तो वो स्कूल की बजाय कब्रिस्तान चले जाया करते थे और वहां जाकर खुद से बात करते हुए फिल्मी डायलॉग्स बोला करते थे।
वहीं, उनको ऐसा करते हुए अशरफ खान हर दिन देखते थे, जो कि एक थिएटर आर्टिस्ट थे। वो उस समय एक ड्रामा कर रहे थे, जिसमें उन्हें 8 साल के बच्चे की जरुरत थी। उन्होंने कादर को नाटक में काम दे दिया। कादर मिमिक्री के साथ-साथ पढ़ाई में भी काफी होशियार थे। उन्होंने मुंबई के इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद सिविल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और मुंबई के एक कॉलेज में ही इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर हो गए। फिर एक दिन दिलीप कुमार ने उन्हें फोन किया और उनका ड्रामा देखने की इच्छा जताई। इस पर कादर ने दो शर्त रखी कि वो 20 मिनट पहले आएंगे और पूरा प्ले देखकर जाएंगे। इसके बाद क्या था वही हुआ जो होना था। एक्टर को दिलीप कुमार ने दो फिल्में ऑफर की और उन्होंने साइन कर लिया और उनकी किस्मत यहीं से बदल गई।
कादर खान ने 1973 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘दाग’ से करियर की शुरुआत की थी। एक्टिंग के साथ उन्होंने 1970 और 80 के दशक में कई फिल्मों के लिए कहानियां भी लिखीं। अभिनेता को आखिरी बार साल 2015 में आई फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में देखा गया था। स्क्रीन पर उनकी और गोविंदा की जोड़ी खूब जमती थी। लोग दोनों को साथ में देखना काफी पसंद करते थे।