जावेद अख्तर (Javed Akhtar) को फिल्मों के साथ-साथ उनकी बेबाकी के लिए भी जाना जाता है। वो फिल्मों के लिए जितने अच्छे लिरिक्स और कहानियां लिखते हैं ठीक उसी तरह देश और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर भी अपनी राय रखते हैं। हाल ही में उन्होंने अगले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ट्वीट किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर हेटर्स उनकी और अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला मिशेल ओबामा के बारे में बुरा-भला कहने लगे। इसी दौरान गीतकार को गद्दार का बेटा भी कहा गया, जिसके बाद वो काफी भड़क गए और उन्होंने ट्रोल्स की क्लास लगा दी।

जावेद अख्तर ने ट्रोल्स को सबक सिखाते हुए ट्वीट किया, ‘मुझे गर्व है कि मैं एक भारतीय नागरिक हूं और मुझे ये गर्व आखिरी सांस तक रहेगा। मेरे और जो बाइडन के बीच एक बात समान है। हम दोनों की अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनने की समान संभावना है।’ जावेद की इस पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट किया और उन्हें गद्दार का बेटा कह दिया। यूजर ने लिखा, ‘आपके पिता ने मुसलमानों के लिए एक राष्ट्र पाकिस्तान बनाने में अहम रोल निभाया था। फिर लेखन की आड़ में उन्होंने भारत में रहने का फैसला किया था। आप गद्दार के बेटे हैं। उन्होंने हमारे देश को धर्म के आधार पर बांट दिया। अब आप कुछ भी कहें लेकिन सच यही है।’

गद्दार कहे जाने पर जावेद अख्तर ने दिया मुंहतोड़ जवाब

फिर जावेद अख्तर ने जब यूजर की ये पोस्ट देखी तो वो गुस्से से आगबबूला हो गए। उन्होंने फौरन उस पर रिप्लाई किया और लिखा, ‘ये तय करना काफी मुश्किल होगा कि आप पूरी तरह से अज्ञानी हैं या फिर बेवकूफ। 1857 से मेरी फैमिली स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा रही है। जेल और काला पानी की सजा तब भुगती, जब आपके बाप-दादा अंग्रेजी हुकूमत के जूते चाटते थे।’

मिशेल ओबामा पर बोले जावेद अख्तर

इसके साथ ही मामला यहीं शांत नहीं हुआ फिर जावेद अख्तर से किसी ने मिशेल ओबामा के राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैं पहले भी कई बार इस पर राय रख चुका हूं और अब भी उस पर कायम हूं कि अगर कोई एकमात्र व्यक्ति है, जो ट्रम्प से बचा सकता है तो वो सिर्फ मिशेल ओबामा हैं।’

इन फिल्मों में रहा जावेद अख्तर का अहम योगदान

जावेद अख्तर को पटकथा लेखन के लिए जाना जाता है। 1970 के दशक से ही फिल्म इंडस्ट्री में उनका अहम योगदान रहा है। फिल्म जगत में सलीम-जावेद की जोड़ी लोकप्रिय थी। उन्होंने शोले (1975), दीवार (1975) और जंजीर (1973) जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी। कला और साहित्य में योगदान के चलते उन्हें साल 1999 में पद्म श्री, साल 2007 में पद्म भूषण और साल 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।